कनाडा से तनातनी, फिर महंगी दाल से छुटकारा कैसे? मोदी सरकार ने बनाया ये प्लान!
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देश में फेस्टिव सीजन के दौरान लोगों को अरहर और उड़द दाल के लिए परेशानी न झेलना पड़े और न ही इनकी कीमतों में इजाफा हो, इसके लिए सरकार ने स्टॉक सीमा (Pulse Stock Limit Extend) को 30 अक्टूबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2023 कर दिया है.
इस बार त्योहारों के मौसम (Festive Season) के साथ ही देश के 5 राज्यों में चुनाव भी होने वाले हैं. ऐसे में सरकार के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता फेस्टिव सीजन में महंगाई (Inflation) को कंट्रोल में रखने की है. इसी मुहिम के तहत सरकार गैर बासमती चावल, प्याज समेत कई तरह के खाद्य पदार्थों के निर्यात को कंट्रोल करने से जुड़े फैसले ले चुकी है. सरकार नहीं चाहती कि निर्यात के असर से यहां पर किसी भी खाद्य पदार्थ की कमी हो, जिससे उनके दाम देश में बढ़ जाएं. इसी कड़ी में भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए अरहर और उड़द की स्टॉक सीमा (Pulse Stock Limit Extend) को 30 अक्टूबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2023 कर दिया है. ये फैसला ऐसे समय में लिया गया है जबकि कनाडा और भारत के बीच तनाव (Canada India Tension) जोर पकड़ रहा है, जहां से दालों का आयात ज्यादा होता है.
दाल के दाम बढ़ने के रोकने के लिए फैसला कनाडा से तनाव के बीच देश के लोगों को दाल की किल्लत न हो और इसकी कीमतें (Pulses Price In India) स्थिर रहें, इसके लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत दालों के भंडारण पर ये स्टॉक लिमिट लगाई गई है. कुछ स्टॉक रखने वाली संस्थाओं के लिए स्टॉक सीमा में बदलाव भी किया है. इससे कीमत बढ़ाने वाले व्यापारियों पर नकेल कसी जा सकेगी. सरकार की ओर से जारी एक नोटिफिकेशन के मुताबिक, गोदाम में थोक विक्रेताओं और बड़ी संख्या में रिटेलर्स के पास स्टॉक सीमा को 200 मीट्रिक टन से घटाकर 50 मीट्रिक टन कर दिया गया है. चक्की के लिए स्टॉक सीमा को पिछले 3 महीने के उत्पादन या सालाना क्षमता से 25 फीसदी की कटौती की गई है.
दालों के बढ़ते दाम ने बढ़ाई मुश्किल! सरकार को रिटेलर्स के लिए स्टॉक सीमा में 75 फीसदी कटौती इसलिए करनी पड़ी, क्योंकि काफी कोशिशों के बावजूद दालों की कीमतों में कमी नहीं आ रही थी. इसकी एक वजह डिमांड और सप्लाई का अंतर भी है. उदाहरण के तौर पर देश में अरहर दाल की मांग और खपत में करीब 11 लाख मीट्रिक टन का अंतर है. अरहर दाल की सालाना खपत 45 लाख टन है जबकि इसका देश में उत्पादन महज 34 लाख टन ही रह गया है. ऐसे में इस सबसे लोकप्रिय दाल की कीमतों में बढ़ोतरी सरकार के लिए सिरदर्द बनती जा रही थी. 5 राज्यों के चुनावों में विपक्ष के सामने अपनी रणनीति को असफल होने से रोकने के लिए सरकार महंगाई का जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है. यही वजह है कि इसके पहले पिछले हफ्ते ही गेहूं की स्टॉक लिमिट भी घटाई गई थी.
जमाखोरी को रोकने के लिए फैसला उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक, स्टॉक सीमा में बदलाव और डेडलाइन को आगे बढ़ाने का मकसद जमाखोरी को रोकना है. इससे बाजार में पर्याप्त मात्रा में अरहर और उड़द दालों को उपलब्ध कराने का सरकार प्रयास करेगी. जब दालों की सप्लाई में रुकावट नहीं आएगी, तो लोगों को कम कीमतों पर अरहर दाल और उड़द दाल आसानी से उपलब्ध हो सकेगी. इस नए आदेश को देखें तो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 दिसंबर, 2023 तक अरहर और उड़द दालों के लिए स्टॉक सीमा तय की गई है.
थोक विक्रेताओं के लिए हरेक दाल पर व्यक्तिगत रूप से लागू स्टॉक सीमा 50 मीट्रिक टन है. रिटेलर्स के लिए 5 मीट्रिक टन, हरेक रिटेल आउटलेट पर 5 मीट्रिक टन, रिटेलर्स के लिए डिपो में 50 मीट्रिक टन, चक्की के लिए उत्पादन के आथिरी 1 महीने या सालाना स्थापित क्षमता का 10 फीसदी (दोनों में जो भी ज्यादा हो). आयातकों को सीमा शुल्क निकासी के दिन से 30 दिनों से ज्यादा आयातित स्टॉक नहीं रखना है.
स्टॉक लिमिट के लिए 30 दिनों का समय संबंधित संस्थाओं को उपभोक्ता मामले विभाग के पोर्टल (https://fcainfoweb.nic.in/psp) पर स्टॉक की स्थिति की जानकारी देनी होगी. अगर उनके पास स्टॉक तय सीमा से ज्यादा पाया जाता है तो वो अधिसूचना जारी होने के 30 दिनों के भीतर इसे तय स्टॉक सीमा तक लेकर लाएंगे. इसके अतिरिक्त स्टॉक मिलने पर उसे जमाखोरी माना जाएगा. ऐसे स्टॉर पर आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी. इससे पहले सरकार ने 02 जनवरी, 2023 को अरहर और उड़द दालों के लिए स्टॉक सीमा की अधिसूचना जारी की थी. इसका मकसद जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकना था जिससे ग्राहकों को इसका फायदा मिल सके. उपभोक्ता मामले विभाग स्टॉक डिस्क्लोजर पोर्टल के माध्यम से अरहर और उड़द दालों के स्टॉक की स्थिति पर करीब से नजर रख रही है. इसकी राज्य सरकारों के साथ हर हफ्ते समीक्षा भी की जा रही है.
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