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कनाडा की स्टीफन हार्पर सरकार ने भारत को दी थी यूरेनियम की खेप, ट्रूडो ने आते ही कर दिया रिश्तों का बंटाधार!
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India Canada relation: भारत-कनाडा रिश्तों में सबसे बड़ी उपलब्धि 2010 में आई जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और हार्पर ने ऐतिहासिक नागरिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए. कनाडा से यूरेनियम की खेप भारत भी आई. कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने 2011 को कनाडा में 'भारत का वर्ष' घोषित किया था. हार्पर ने कहा था कि दोनों देश अब 1970 के दशक के अतीत में नहीं रह सकते हैं.
जस्टिन ट्रूडो ने 4 नवंबर 2015 को कनाडा के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. दिसंबर 2015 वो समय था जब कनाडा से यूरेनियम की एक भारी भरकम खेप भारत के एक अज्ञात पोर्ट पर पहुंची. ऐसा लगभग 40 साल के बाद हुआ था. ये भारत-कनाडा के बीच रिश्तों का स्वर्णिम समय था. जब 1974 में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया था तो तब कनाडा नाराज हो गया था और भारत के साथ नागरिक परमाणु समझौते को सस्पेंड कर ठंडे बस्ते में डाल दिया था. 1998 के भारत के न्यूक्लियर टेस्ट के बाद से तो कनाडा ने मानवीय सहायता को छोड़कर सभी सहायता बंद कर दी और भारत पर प्रतिबंध लगा दिया.
नई सदी के शुरुआत होते ही दोनों देशों के रिश्ते सुधरे लेकिन प्रधानमंत्री बनते ही ट्रूडो ने भारत-कनाडा की दोस्ती का गियर रिवर्स मोड पर डाल दिया. ट्रूडो के कनाडा की प्राथमिकता में खालिस्तानी एजेंडा आ गया पिछले 10 साल में दोनों देशों के बीच के रिश्तों पर बर्फ की भारी पहाड़ जम गई है, जहां संबंधों में न जोश है, न गर्माहट.
संबंधों का इतिहास
1980 के दशक में भारत में खालिस्तान आंदोलन ने रफ़्तार पकड़ी. इस दौरान कई खालिस्तानी चरमपंथी भागकर कनाडा पहुंचे. उस समय पियेर ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री हुआ करते थे. भारत ने पियेर ट्रूडो से खालिस्तानी चरमपंथी के खिलाफ एक्शन की मांग की लेकिन पियेर ट्रूडो ने मना कर दिया. जस्टिन ट्रूडो उन्हीं पियेर ट्रूडो के बेटे हैं.
दोनों देशों के संबंधों में टेंशन तब आया जब जून 1985 में एयर इंडिया की फ़्लाइट संख्या 182 में बम धमाका हुआ. इसमें सवार सभी 329 लोग मारे गए. तलविंदर परमार नाम के शख्स को इसका मास्टरमाइंड बताया गया. मगर उसके ख़िलाफ़ कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई.भारत इस कड़वाहट को कभी भूल नहीं सका. अगर साल नई सदी 2000 के शुरुआत की बात करें तो अप्रैल 2001 में कनाडा ने भारत से प्रतिबंध हटा दिए गए थे. माना जाता था कि यह कनाडा में भारत के प्रवासियों का बढ़ता प्रभाव था जिससे यह बदलाव संभव हुआ.
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