![औपनिवेशिक युग के क़ानूनों और उनकी व्याख्या पर ग़ौर किया जाना चाहिए: जस्टिस नरसिम्हा](http://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2021/09/Judge-PS-Narasimha-pti-08-31-2021.jpg)
औपनिवेशिक युग के क़ानूनों और उनकी व्याख्या पर ग़ौर किया जाना चाहिए: जस्टिस नरसिम्हा
The Wire
शीर्ष अदालत के नौ नवनियुक्त न्यायाधीशों के अभिनंदन के लिए आयोजित एक समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा ने कहा कि भारत को औपनिवेशिक युग के क़ानूनों और उनकी व्याख्या के कारण 70 साल से अधिक समय तक प्रभावित होना पड़ा है. बड़ी संख्या में क़ानून, बड़ी संख्या में व्याख्याओं पर फ़िर से ग़ौर करने की ज़रूरत है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा ने रविवार को कहा कि भारत को औपनिवेशिक युग के कानूनों और उनकी व्याख्या के कारण 70 साल से अधिक समय तक प्रभावित होना पड़ा है और कानूनों का वि-उपनिवेशीकरण न्यायाधीशों के लिए एक संवैधानिक मिशन है.
जस्टिस नरसिम्हा 2027 में भारत के मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि जस्टिस बीवी नागरत्ना से पदभार ग्रहण करना उनके लिए एक बड़ा सम्मान होगा. जस्टिस नागरत्ना भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बन सकती हैं.
उच्चतम न्यायालय की महिला अधिवक्ताओं द्वारा तीन महिला न्यायाधीशों सहित शीर्ष अदालत के नौ नवनियुक्त न्यायाधीशों के सम्मान के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि उन्होंने हाल ही में एक समाचार रिपोर्ट पढ़ी है कि सीजेआई एनवी रमना ने कहीं कहा है कि भारतीय न्यायिक प्रणाली उपनिवेशवाद से प्रभावित है.
उन्होंने कहा, ‘तभी मुझे लगा कि वि-उपनिवेशीकरण वास्तव में हमारे लिए एक संवैधानिक मिशन है और मैं तुरंत स्वयं को उस दृष्टिकोण से जोड़ सकता हूं, जिसका उल्लेख सीजेआई ने किया है. बड़ी संख्या में कानून, बड़ी संख्या में व्याख्याओं पर फिर से गौर करने की जरूरत है, जिनसे हम 70 वर्षों से अधिक समय तक प्रभावित हुए हैं और मुझे यकीन है कि यह हमें एक नए परिप्रेक्ष्य में ले जाएगा.’