
ऑक्सीटॉसिन, मेथेनॉल और यूरिया... नशे का वो देसी जुगाड़ जिससे जहरीली बन जाती है शराब, जानें पूरी कहानी
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सवाल ये है कि आखिर नशीली शराब जहरीली कैसे बन जाती है? नशा देने की बजाय ये मौत क्यों देने लगती है? क्या जहरीली शराब जानबूझ कर बनाई जाती है? या फिर शराब बनाते-बनाते ये कब नशीली से जहरीली हो जाती है, बनानेवालों को इसका पता ही नहीं चलता?
अक्सर ऐसी खबरें सुनने और देखने में आती हैं कि जहरीली शराब से कुछ लोगों की मौत हो गई. अब सवाल उठता है कि जो शराब पहले से ही खुद जहर है, उसमें और जहर आता कहां से है? आखिर नशीली शराब जहरीली कैसी बन जाती है? हम शराब की जो कहानी आपको बताने जा रहे हैं, उसे जानने के बाद आपको खुद नशीली और ज़हरीली शराब के बीच का फर्क समझ में आ जाएगा.
1 अप्रैल 2016 यही वो तारीख थी, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू की थी. ये जानते हुए भी कि इससे राज्य सरकार का ख़ज़ाना 4 हजार करोड़ रुपये कम हो जाएगा. लेकिन औसतन एक साल में करीब 14 लाख लीटर शराब पीने वाले लोग भला बिना शराब के कैसे रह सकते थे. लिहाज़ा शराबबंदी के बाद भी बिहार से जब-तब शराब की खरीद-फरोख्त की खबरें आती रहीं. पिछले छह सालों में शराब बंदी का कानून तोड़ने वाले करीब चार लाख लोगों पर मुकदमा भी दर्ज हुआ और वो जेल भी गए. अब भी इस चक्कर में हजारों जेल में हैं.
मौत पर राजनीति मगर इसी खबर का एक दूसरा पहलू ये भी है कि यही नशा लोगों की जान भी ले रहा है. बिहार से किश्तों में आए दिन नशीली शराब के नाम पर जहरीली शराब पीने की वजह से मौतों की खबर आती रहती हैं. लेकिन फिलहाल जो छपरा में हुआ, वो बेहद अफसोसनाक है. नशे के नाम पर जहर पीने यानी जहरीली शराब पीने की वजह से अब तक 80 से ज्यादा लोग दम तोड़ चुके हैं. हमेशा की तरह इन मौतों पर मातम के साथ-साथ राजनीति भी खूब हो रही है.
जहरीली शराब पर सवाल दर सवाल पर सवाल ये है कि आखिर नशीली शराब जहरीली कैसे बन जाती है? नशा देने की बजाय ये मौत क्यों देने लगती है? क्या जहरीली शराब जानबूझ कर बनाई जाती है? या फिर शराब बनाते-बनाते ये कब नशीली से जहरीली हो जाती है, बनानेवालों को इसका पता ही नहीं चलता? छोटी-छोटी जगहों पर धड़ल्ले से गैर कानूनी तरीके से ऐसी शराब कौन लोग बनाते हैं? कैसे बनाते हैं? क्या उन्हें पता होता है जो नशा वो तैयार करने जा रहे हैं, वो नशीली शराब कब कैसे और क्यों जहरीली बन जाती है? क्या ज्यादा नशा के चक्कर में देसी शराब में जहर मिलाया जाता है? या फिर लालच और तजुर्बे की कमी की वजह से शराब में मिलाए जानेवाले केमिकल खुद ही जहर बन जाते हैं? आखिर देसी शराब के जहर या जहरीले होने की वजह क्या है?
देसी शराब के जहर बन जाने की दास्तान तो आइए, आपको तफ्सील से ये बताते हैं कि इस जहरीली शराब का सच क्या है? ये कैसे बनती है? इसे बनाने के लिए क्या-क्या चीजें और तरीके इस्तेमाल की जाती हैं? और वो कौन सा मोड़ या पल होता है, जब ये नशीली शराब अचानक ऐसे जहरीली बन जाती है कि खुद बनानेवाले तक को इसका पता ही नहीं चलता.
दो तरीकों से बनती है शराब हमारे देश में शराब दो तरह से बनती है. एक तो वो जो बड़ी बड़ी कंपनियां सरकारी नियम और कायदे कानून के दायरे में रह कर बनाती हैं. इस तरह बनाई जाने वाली शराब में अमूमन दो तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं पहला शराब का फॉर्मूला, दूसरा उसी फॉर्मूले के हिसाब से फैक्ट्री में शराब को तैयार किया जाना. हर शराब के लिए शराब बनाने में इस्तेमाल होनेवाली चीजें, उसकी मात्रा, सबकुछ एक्सपर्ट्स की मौजूदगी में होता है. एक बार शराब तैयार होने के बाद बाकायदा उसकी टेस्टिंग होती है. टेस्टिंग में पास होने के बाद ही शराब दुकानों तक पहुंचती है. यही वजह है कि कानूनी तौर पर बनाई जानेवाली शराब को लेकर कभी हंगामा खड़ा नहीं हुआ.

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