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ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज से भी 600 साल पहले बना था नालंदा, क्यों खिलजी ने मिटा दिया इसका नाम?
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Nalanda University Inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का आज उद्घाटन करेंगे. अब कहा जा रहा है कि 815 सालों के लंबे इंतजार के बाद यह फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौट रहा है.
नालंदा विश्वविद्यालय करीब 800 साल के लंबे इंतजार के बाद पुराने स्वरूप में लौट रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नालंदा विश्वविद्यालय के नवीन परिसर का उद्घाटन करेंगे. नए कैंपस के उद्घाटन की खबरों और नई तस्वीरों के बीच इसके इतिहास की बात भी की जा रही है. दरअसल, दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय नालंदा अपने साथ इतना प्राचीन इतिहास समेटे हुए हैं, जिसे लेकर कई किताबें लिखी गई हैं. कहा जाता है कि जब दुनिया में विश्वविद्यालय बनना शुरू हुए थे, उस वक्त नालंदा कई सौ सालों की अपनी लेगेसी बना चुका था.
तो नए कैंपस के उद्घाटन के मौके पर आज आपको बताते हैं कि नांलदा की कहानी, जिसमें पता चलेगा कि विश्वविद्यालय का क्या इतिहास है, यहां से किन महान लोगों ने पढ़ाई की है और किस तरह की पढ़ाई के लिए नालंदा जाना जाता था. तो पढ़ते हैं नालंदा के बारे में...
कितना पुराना है नालंदा?
जब भी दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटी की बात होती है तो दिमाग में ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज के नाम आते हैं. लेकिन, नालंदा विश्वविद्यालय उससे भी काफी पहले का है. नालंदा तीन शब्दों से मिलकर बना है- ना, आलम और दा. इसका मतलब है ऐसा उपहार, जिसकी कोई सीमा नहीं है. इसे 5वीं सदी में गुप्त काल में बनाया गया था और 7वीं शताब्दी तक यह महान यूनिवर्सिटी बन चुकी थी.
यह एक विशाल बौद्ध मठ का हिस्सा था और कहा जाता है कि इसकी सीमा करीब 57 एकड़ में थी. इसके अलावा कई रिपोर्ट्स में इसे और भी बड़ा होने का दावा किया जाता है. कुछ रिकॉर्ड्स के मुताबिक यह आम के बगीचे पर बनी थी, जिन्हें कुछ व्यापारियों ने गौतम बुद्ध को दिया था.
19वीं सदी में चला पता
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आरएसएस से 32 साल तक जुड़ी रहीं गुप्ता ने 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी. 1995-96 में वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव और 1996-97 में इसकी अध्यक्ष रहीं. 2002 में वह भाजपा में शामिल हुईं और पार्टी की युवा शाखा की राष्ट्रीय सचिव रहीं.
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महाराष्ट्र के डिप्टी CM एकनाथ शिंदे ने एक जोरदार बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि उन्हें हल्के में न लिया जाए. शिंदे ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति उन्हें हल्के में लेगा, तो वे उसकी टांग पलट देंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि उनका और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कोई मतभेद नहीं है.
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रेखा गुप्ता ने बुधवार शाम दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना से मुलाकात की और राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बनाने का दावा पेश किया. उनके साथ राज्य भाजपा पर्यवेक्षक रविशंकर प्रसाद और ओपी धनखड़, शहर भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और दिल्ली के सांसद बांसुरी स्वराज, प्रवीण खंडेलवाल और कमलजीत सहरावत भी थे. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत जय पांडा भी राज निवास में मौजूद थे.
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रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी अब महिला मुख्यमंत्रियों की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. दिल्ली ने कई महिला मुख्यमंत्री देखी हैं, जिनमें कांग्रेस की शीला दीक्षित का 15 साल का शासन भी शामिल है. साथ ही बीजेपी उन महिला वोटर्स पर भी फोकस कर रही है जिन्होंने चुनाव में पार्टी के पक्ष में जमकर मतदान किया है.
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रेखा गुप्ता का नाम दिल्ली की CM के रूप में चुना गया है, जो दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री और BJP की दूसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस उपलब्धि पर बधाई दी है. बीजेपी ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का संदेश दिया है. रेखा गुप्ता कल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी.
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महाकुंभ में अब तक 53 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं और मुख्यमंत्री का अगला लक्ष्य 60 करोड़ का है. इतने बड़े आयोजन में व्यवस्था और सुरक्षा का ध्यान रखना एक बड़ी चुनौती है. सोचिए, इतनी विशाल संख्या में लोग कैसे इस आयोजन में शामिल होते हैं और इस प्रक्रिया के दौरान व्यवस्थाओं का कितना महत्व होता है.
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अलका लांबा ने 1995 में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की थी. वहीं, रेखा गुप्ता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से महासचिव चुनी गई थीं. उस समय दोनों युवा नेता छात्र राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बना रही थीं. अब, सालों बाद रेखा गुप्ता ने अपनी राजनीतिक यात्रा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है.