एल्गार परिषद: एनआईए ने कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर को हैक करने से इनकार किया
The Wire
भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से मिले पत्रों के आधार पर विल्सन समेत पंद्रह कार्यकर्ताओं पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे. इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की जांच करने वाले अमेरिकी फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग का कहना है कि इन्हें एक साइबर हमले में विल्सन के लैपटॉप में डाला गया था.
मुंबई: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने डिजिटल फोरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग की उस रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें यह बताया गया है कि भारत के प्रधानमंत्री की हत्या और सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश सहित भड़काऊ सामग्री एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी शोधकर्ता रोना विल्सन के लैपटॉप को हैक कर रखे गए थे. इस साल फरवरी में जारी अमेरिकी फर्म की रिपोर्ट में कहा गया था, ‘विल्सन का लैपटॉप हैक करने वाले हमलावर के पास विस्तृत संसाधन और समय था और यह स्पष्ट है कि मुख्य इरादा निगरानी (सर्विलांस) और आपराधिक दस्तावेज पहुंचाना था.’ आर्सेनल ने इस साइबर हमलावर को उसी मैलवेयर इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ जोड़ा, जो विल्सन के लैपटॉप में तकरीबन चार साल के लिए न केवल उनकी जानकारी साझा करने के लिए, बल्कि 22 महीनों तक उनके सह-आरोपियों पर भी हमला करने के उद्देश्य डाला गया था. आर्सेनल की रिपोर्ट के मुताबिक, 17 अप्रैल 2018 को विल्सन के घर छापेमारी होने से कुछ समय पहले ही उनके कंप्यूटर से छेड़छाड़ की गई थी.More Related News