एनडीए की परीक्षा में पहली बार इस साल से ही बैठेंगी लड़कियां, पर सामने हैं ये चुनौतियां
BBC
केंद्र सरकार के हलफ़नामे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनडीए में लड़कियों की एंट्री को और नहीं टाला जा सकता. कोर्ट ने केंद्र सरकार से इसी साल लड़कियों को इस परीक्षा में शामिल करने की तैयारी करने को कहा. आखिर इसी साल इस परीक्षा को आयोजित करने में चुनौतियां क्या क्या हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को साफ़ किया कि नेशनल डिफ़ेंस एकेडमी या एनडीए में महिलाओं के प्रवेश को अगले साल तक टाला नहीं जा सकता.
कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश को निरस्त करने से इनकार किया और कहा कि एनडीए में महिलाओं की प्रवेश परीक्षा इसी साल नवंबर महीने में होनी चाहिए. इससे पहले अगस्त महीने में कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि महिलाएं एनडीए की परीक्षा दे सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर जनहित याचिका डालने वाले वकील, कुश कालरा का कहना था कि लड़कियों को 12वीं के बाद एनडीए में जाने का मौका नहीं मिलता था जो संविधान में दिए गए अधिकारों का उल्लंघन करता है. ये चलन 6 दशक से ज्यादा समय से चला आ रहा है और वहां केवल पुरुषों को ही प्रवेश की अनुमति है.
वे बीबीसी से बातचीत में कहते हैं, "ये सीधे तौर पर संविधान में दिए गए अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) अनुच्छेद 15(लैंगिक भेदभाव), अनुच्छेद 16 जो ये कहता है कि राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समता होगी और उसमें भेदभाव नहीं हो सकता और अनुच्छेद 19(1) में दिए गए अधिकारों का उल्लंघन करता है. इन सभी मानदंडों को देखा जाए तो ये महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन करता है इसलिए मैंने इसी साल 10 मार्च पर को इस मुद्दे पर याचिका डाली थी."