![एनकाउंटर पॉलिटिक्स... डरावनी होती जा रही है जुर्म को लेकर त्वरित न्याय की मांग | Opinion](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202409/66f29e4c9f1a4-yogi-adityanath--mamata-banerjee-241107374-16x9.jpg)
एनकाउंटर पॉलिटिक्स... डरावनी होती जा रही है जुर्म को लेकर त्वरित न्याय की मांग | Opinion
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बदलापुर एनकाउंटर से पहले यूपी में भी खूब राजनीति हुई. योगी आदित्यनाथ के शासन में जाति देखकर एनकाउंटर किये जाने का आरोप लगा, तो STF का बैलेंसिंग एक्ट भी अजीबोगरीब रहा - लेकिन ऐसे ही दौर में पश्चिम बंगाल में अलग ही मिसाल पेश की गई है.
उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर को लेकर जबरदस्त राजनीति चल रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आरोप है कि पुलिस यूपी में जाति देखकर एनकाउंटर कर रही है.
सुल्तानपुर डकैती केस में पहले मंगेश यादव को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया था, जिस पर खूब बवाल मचा. बाद में एसटीएफ ने उन्नाव में अनुज प्रताप सिंह को ढेर कर दिया. अनुज के पिता ने तो कहा कि अखिलेश यादव की इच्छा पूरी हुई, क्योंकि हिसाब बराबर हो गया - लेकिन अखिलेश यादव ने अनुज के एनकाउंटर का भी ये कहते हुए विरोध किया कि ये भी फर्जी एनकाउंटर है.
इस बीच बदलापुर रेप के आरोपी अक्षय शिंदे का भी एनकाउंटर हुआ है, जिस पर महाराष्ट्र में राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया है. एक एनकाउंटर तो तमिलनाडु में भी हुआ है, मारे गये हिस्ट्रीशीटर बदमाश 'सीजिंग राजा' का नाम बीएसपी नेता आर्मस्ट्रांग की हत्या में भी आया था. वे एक दलित थे. इसी हत्या के एक और आरोपी कक्काथोपे बालाजी को हफ्ताभर पहले एक एनकाउंटर में मार दिया गया था.
ठोको नीति से होती हैं गैर-न्यायिक हत्या
पुलिस को एक्स्ट्रा पावर मिल जाये, तो उसे बेलगाम तो होना ही है. जब पुलिस की पीठ पर सीधे मुख्यमंत्री का हाथ हो, तो क्या होगा? ऐसे में कानून और कोर्ट भला क्या मायने रखता है? उत्तर प्रदेश में तो फिलहाल हाल यही है.
सवाल ये है कि पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में आती ही क्यों है? हकीकत का एक हिस्सा ये तो है ही कि आरोपियों को पकड़ कर जेल भेज देने भर से कहां कुछ होता है. बलात्कार के ही कई मामलों में देखा गया कि आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, और छूटते ही वो पीड़ित पर हमला करता है. कई मामले तो जलाकर मार डालने के भी सामने आ चुके हैं. यूपी के उन्नाव से ही एक ऐसा मामला देखा गया.
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दिल्ली विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल में बीजेपी को बड़ी जीत मिलने के संकेत मिल रहे हैं. आम आदमी पार्टी को भ्रष्टाचार के आरोपों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सर्वे के अनुसार बीजेपी को 50 से अधिक सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि आम आदमी पार्टी 20 से कम सीटों पर सिमट सकती है.
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दिल्ली दंगों के समय आम आदमी पार्टी की भूमिका पर सवाल उठे हैं. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने पुलिस स्टेशन का दौरा किया था. भाजपा और कांग्रेस पर आरोप लगे कि वे दंगों के दौरान निष्क्रिय रहे. आम आदमी पार्टी ने अपने कोर वोटर मुस्लिम समुदाय का समर्थन खो दिया है. सर्वे के अनुसार, 83% मुस्लिम वोट आम आदमी पार्टी के पक्ष में थे, जो अब घटकर 20% रह गए हैं.
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