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एनआरसी: असम के हैदर अली की कहानी जिन्होंने लड़ी ख़ुद को भारतीय साबित करने की लड़ाई
BBC
असम के बारपेटा की एक फ़ॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (एफ़टी) ने 30 जनवरी, 2019 को हैदर अली को विदेशी नागरिक घोषित कर दिया था. लेकिन, क़रीब दो साल अदालतों के चक्कर काटने के बाद गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अपने एक फ़ैसले में उन्हें भारतीय नागरिक बताया है.
"मैंने विदेशी ट्रिब्यूनल को अपने भारतीय होने के सभी दस्तावेज़ दिखाए थे लेकिन फिर भी उन लोगों ने मुझे विदेशी नागरिक घोषित कर दिया. आप सोचिए किसी भी व्यक्ति से अगर उसकी नागरिकता ही छीन ली जाए तो उस पर क्या गुज़रेगी? हम ग़रीब लोग है. यहां ग़ाज़ियाबाद की झुग्गियों में रहकर अपने बच्चों को किसी तरह पाल-पोस रहें है. कोर्ट कचहरी के लिए जो पैसे ख़र्च हुए हैं, उस उधार को चुकाने में सालों लग जाएंगे. जीवन में इतना आघात पहले कभी नहीं लगा था." 35 साल के हैदर अली जब ये बातें कहते हैं तो उनकी आवाज़ में नागरिकता खोने का डर आज भी आसानी से महसूस किया जा सकता है. दरअसल, असम के बारपेटा की एक फ़ॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (एफ़टी) ने 30 जनवरी, 2019 को हैदर अली को विदेशी नागरिक घोषित कर दिया था. लेकिन, क़रीब दो साल अदालतों के चक्कर काटने के बाद गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अपने एक फ़ैसले में उन्हें भारतीय नागरिक बताया है. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हैदर अली के मामले पर सुनवाई के बाद एफ़टी के आदेश को रद्द करते हुए उनके नाम के आगे लगाए गए विदेशी टैग को हटाने का निर्देश दिया है. जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह और जस्टिस मनीष चौधरी की अदालत ने 30 मार्च 2021 को अपने इस फ़ैसले में कहा, "हमारा दृढ़ मत है कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में सक्षम हैं कि उनके पिता हरमुज अली थे और उनके दादा नादू मिया थे. दस्तावेज़ों में स्पष्ट रूप से याचिकाकर्ता का अपने पिता हरमुज अली और दादा नादू मिया के साथ संबंध बताया गया है और इसके अनुसार, हमें यह मानने में कोई हिचक नहीं है कि याचिकाकर्ता एक भारतीय नागरिक हैं न कि कोई विदेशी है."More Related News