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एके शर्मा को सरकार के बजाय संगठन में लिए जाने के क्या हैं मायने ? इस रस्साकशी में कौन जीता?
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आईएएस की नौकरी छोड़कर एके शर्मा ने जब राजनीति में कदम रखा था तो उस समय उन्हें डिप्टी सीएम से लेकर कैबिनेट मंत्री बनाए जाने तक की चर्चा थी लेकिन एमएलसी बनने के 5 महीने बाद संगठन में एंट्री होने से साफ हो गया कि फिलहाल योगी सरकार में उनका कोई रोल नहीं रहेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद माने जाने वाले अरविंद कुमार शर्मा (एके शर्मा) को आखिरकार शनिवार को यूपी बीजेपी का उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया. हालांकि, आईएएस की नौकरी छोड़कर एके शर्मा ने जब राजनीति में कदम रखा था तो उस समय उन्हें डिप्टी सीएम से लेकर कैबिनेट मंत्री बनाए जाने तक की चर्चा थी लेकिन एमएलसी बनने के 5 महीने बाद संगठन में एंट्री होने से साफ हो गया कि फिलहाल योगी सरकार में उनका कोई रोल नहीं रहेगा. ऐसे में इस फैसले को क्या योगी आदित्यनाथ की जीत की तरह देखा जाना चाहिए या फिर केंद्रीय नेतृत्व ने फिलहाल के लिए बीच का सियासी रास्ता निकाला है. गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी रहे अरविंद कुमार शर्मा ने इस साल जनवरी में एकाएक वीआरएस ले लिया था और बीजेपी से जुड़े थे. पार्टी ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बना दिया. एमएलसी बनने के साथ ही यह अनुमान लगाया जाने लगा कि उन्हें यूपी का डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है लेकिन पांच महीने के बाद भी उन्हें योगी कैबिनेट में जगह नहीं मिली. ऐसे में अब उन्हें बीजेपी का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए जाने को उनके 'डिमोशन' के तौर पर भी देखा जा रहा है.More Related News
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आम आदमी पार्टी हाल में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनाव में 62 सीटों से नीचे गिरकर 22 सीटों पर आ गई. पार्टी के बड़े-बड़े धुरंधर जिनमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन, सोमनाथ भारती शामिल हैं, चुनाव हार गए. लेकिन कालकाजी में काफी कड़े मुकाबले में आतिशी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को हराने में सफलता पाई.