![ऊपर हृषिकेश मुखर्जी ख़ैर मना रहे होंगे कि दिल्ली पुलिस की पकड़ से महफ़ूज़ निकल आए!](https://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2022/06/Mohammed-Zubair.jpg)
ऊपर हृषिकेश मुखर्जी ख़ैर मना रहे होंगे कि दिल्ली पुलिस की पकड़ से महफ़ूज़ निकल आए!
The Wire
सरकार के कारिंदे आधी शती पहले की इमरजेंसी की ज़्यादतियों को कोसते हैं, पर देशवासी बिना किसी एलानिया इमरजेंसी के तबसे बदतर हालात में जी रहे हैं.
इमरजेंसी की बरसी भाजपा सरकार ने जिस तरह मनाई, शायद ही किसी ने मनाई होगी. जब मोदी विदेश में भारत के लोकतंत्र का गुणगान कर रहे थे, पीछे देश में जुझारू कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को गिरफ़्तार कर लिया गया.
आरोप कि वे गुजरात दंगों में न्याय के लिए जूझ रहे थे. गिरफ़्तारी की वजह? सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला, जिसमें विशेष जाँच टोली (एसआइटी) की ‘क्लीन चिट’ को बरक़रार रखा गया.
जिस रोज़ कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया, उसके अगले रोज़ ये गिरफ़्तारियां हुईं. उस मुक़दमे में ये लोग कहीं नहीं थे. जिनके साथ अन्याय हुआ, जो सांप्रदायिक हिंसा का निशाना बने, ज़किया जाफ़री जिन्होंने अपने पति और अन्य बेगुनाहों को वहशी हिंदुत्ववादियों के हाथों जान गंवाते देखा, या जो अन्य भुक्तभोगी थे- उन्हें न्याय मिले इसके लिए ये कार्यकर्ता बरसों से संघर्षरत थे.
सरकार ने कोर्ट की आड़ लेकर उन पर हाथ डाला है. अगले ही रोज़ सर्वोच्च अदालत के फ़ैसले की प्रति हासिल कर दोनों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दायर कर दी गई. एफ़आईआर में कोर्ट के फ़ैसले के उद्धरण सविस्तार इस्तेमाल किए गए और उसी रोज़ गुजरात पुलिस श्रीकुमार को गांधीनगर से और तीस्ता को मुंबई में गिरफ़्तार कर अहमदाबाद ले आई.