उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव: हिंदू-मुसलमान या किसान-तालिबान, किन मुद्दों पर जनता करेगी वोट?
BBC
इस बार उत्तर प्रदेश का मुक़ाबला सीधे तौर पर किसी दो पार्टी के बीच का चुनाव नहीं रह गया है. इस बार मुद्दों की भरमार है, लेकिन जनता किस मुद्दे को ज़्यादा महत्व देगी. ऐसे ही मुद्दों की एक पड़ताल.
उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव होने में अब छह महीने से भी कम समय रह गया है.
लखीमपुरी खीरी में किसानों को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की कार से कुचले जाने की घटना ने किसान आंदोलन और उससे जुड़ी राजनीति को नया जीवन दे दिया है.
पहले से ही दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा पर पश्चिमी यूपी के किसान पिछले 10 महीने से आंदोलन कर रहे हैं. उनका कहना है कि सत्ता में बैठे नेता केवल वोट की भाषा समझते हैं, इसलिए इस चुनाव में लोगों से सत्ताधारी पार्टी भाजपा को वोट न देने की अपील करेंगे.
दूसरी तरफ़ सत्ताधारी पार्टी भी रूठी जनता के किसी वर्ग को नाराज़ नहीं रखना चाहती. चुनाव से पहले ही उन्होंने न सिर्फ़ किसानों को मनाने के लिए गन्ना का समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है बल्कि प्रदेश के नाराज़ ब्राह्मणों और बाक़ी जातियों को रिझाने के लिए अपना सोशल इंजीनियरिंग का कार्ड भी कथित तौर पर खेल दिया है.
जानकार हाल ही में हुए प्रदेश के मंत्रिमंडल विस्तार को इसी नज़रिए से देख रहे हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार के वक़्त भी उत्तर प्रदेश का ख़ास ख़्याल रखा गया था.