
उत्तर प्रदेश चुनाव: क्या समाजवादी पार्टी योगी आदित्यनाथ सरकार को हटा पाने की स्थिति में है
The Wire
यूपी में बीते कुछ चुनावों से सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला ही राजनीतिक दलों की सफलता का आधार बना है. वर्तमान चुनाव में समाजवादी पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग चर्चा में है. हालांकि जानकारों के अनुसार, पिछले विधानसभा व लोकसभा चुनावों के दो अलग-अलग सपा गठबंधनों की विफलता के चलते इस बार के गठबंधन की कामयाबी को लेकर कोई सटीक दावा नहीं किया जा सकता.
नई दिल्ली: यूं तो धर्म और जाति भारतीय राजनीति का पर्याय हैं, लेकिन जब बात उत्तर प्रदेश (यूपी) की होती है, तो इस राज्य की राजनीति की कल्पना जाति-धर्म के समीकरणों के बिना संभव ही नज़र नहीं आती है.
जाति आधारित दलों की यहां भरमार है और बीते कुछ चुनावों से सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला ही राजनीतिक दलों की सफलता का आधार है. इस फॉर्मूले के तहत जिस भी दल ने जितनी अधिक अलग-अलग जातियों को साध लिया, उसकी सरकार बनना तय है. 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और 2017 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सोशल इंजीनियरिंग इस बात का प्रमाण हैं.
2022 के वर्तमान विधानसभा चुनावों में भी समाजवादी पार्टी (सपा) की सोशल इंजीनियरिंग चर्चाओं में है, जिसके चलते उसे भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार के सामने सबसे कद्दावर प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है.
चुनावों से कुछ माह पहले तक बतौर विपक्ष जमीन से गायब नज़र आ रही सपा और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव करीब आते-आते विभिन्न जातियों की ऐसी गोलबंदी की, जिसके आधार पर वे सत्ता में वापसी की राह तलाश रहे हैं.