उत्तर प्रदेश: क्या पंचायत चुनाव कोविड संक्रमण का सुपरस्प्रेडर साबित हुआ है
The Wire
उत्तर प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों से लगातार पंचायत चुनाव के प्रशिक्षण, मतदान और मतगणना में शामिल रहे शिक्षकों, कर्मचारियों, शिक्षा मित्रों आदि के कोविड संक्रमित होने और जान गंवाने की ख़बरें आ रही हैं. अधिकतर के परिजन अपने क़रीबियों को खोने का ज़िम्मेदार पंचायत चुनाव की ड्यूटी को ही मान रहे हैं.
‘पंचायत चुनाव की ट्रेनिंग से लौटने के बाद उन्हें बुखार हो गया. हमने कहा जांच करा लीजिए तो बोले कि वायरल होगा. फिर 15 अप्रैल को मतदान कराने गए. वहां उनकी तबियत बिगड़ गई तो अफसर बोले कि घर जाइए. हम लोग उन्हें लेकर आए और अस्पताल में भर्ती कराने गोरखपुर गए लेकिन कहीं जगह नहीं मिली. तब हम उन्हें लेकर वाराणसी चले गए. वहां अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन 21 अप्रैल को उन्होंने हमारा साथ छोड़ दिया. हम उन्हें बचा नहीं पाए. खाली हाथ घर लौटे. वे हमारे जीवन के आधार थे. अब हम निराधार हो गए हैं.’ 40 वर्षीय सीमा फूट-फूटकर रोते हुए अपने पति विजय बहादुर को याद कर रही थीं, जिनका कोरोना संक्रमण से निधन हो गया. दो बेटियों की मां सीमा कहती हैं, ‘घर आकर लोग ढांढस बंधा रहे हैं कि हौसला रखो. बेटियों के लिए अपने को संभालना होगा. सांत्वना देकर लोग चले जाते हैं लेकिन हम जानते हैं कि हमारे ऊपर क्या बीत रही है.’ 50 वर्षीय विजय बहादुर गोरखपुर के उन 37 शिक्षकों-शिक्षा मित्रों में हैं जो पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना से संक्रमित हुए और फिर उनकी जान चली गई. उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ की गोरखपुर जनपद इकाई ने 28 अप्रैल को 20 शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से मौत की जानकारी सार्वजनिक की थी. अब इसमें और इजाफा हुआ है और यह संख्या 37 तक पहुंच गई है.More Related News