उत्तर प्रदेश और असम में 'टू चाइल्ड पॉलिसी' को सरकारी योजनाओं से जोड़ना कितना सही?
BBC
असम और उत्तर प्रदेश में टू चाइल्ड पॉलिसी को राज्य सरकार की योजनाओं से जोड़ने की बात चल रही है. लेकिन इस विषय के जानकार इसे घातक बता रहे हैं.
असम के डिब्रूगढ़ ज़िले के लाहोवाल में रहने वाले गोगोई परिवार को अपनी क़िस्मत पर आज से पहले इतना गर्व कभी नहीं था. सुरेन गोगोई और उनकी बीवी सुरभि की तीन लड़कियाँ हैं और वो असम सरकार की 'अरुणोदय योजना' की लाभार्थी हैं. इस योजना के तहत हर महीने उन्हें 830 रुपए मिलते हैं. अगर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की ओर से प्रस्तावित टू चाइल्ड पॉलिसी यानी दो बच्चों की नीति पहले आ जाती, तो शायद इनको इस योजना का लाभ नहीं मिलता. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि जल्द ही प्रदेश में 'टू चाइल्ड पॉलिसी' लागू करेंगे. जिन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेना होगा, उनके परिवार में दो से ज़्यादा बच्चे नहीं हो सकते. हालाँकि उन्होंने ये भी कहा है कि चाय बागान में काम करने वालों और अनुसूचित जाति और जनजाति वालों के लिए ये नीति लागू नहीं होगी. ये भी पढ़ें : असम: मुसलमान महिलाओं के ज़्यादा बच्चे पैदा करने पर क्या कहते हैं आँकड़े असम के बाद, उत्तर प्रदेश से भी ऐसी ही ख़बर आई. राज्य के विधि आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस एएन मित्तल ने बीबीसी से कहा कि उत्तर प्रदेश में भी सरकारी योजनाओं का लाभ दो बच्चों वाले परिवार को मिले, इस पर वो रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं.More Related News