उत्तराखंड: विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस में घमासान क्यों मचा है
The Wire
पिछले कुछ दिनों के भीतर उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाज़ी खुलकर सामने आ गई है. प्रदेश में पार्टी के सबसे कद्दावर नेता हरीश रावत ने 'संगठन का सहयोग न मिलने' की तंज़ भरे लहज़े में शिकायत की और राजनीति से 'विश्राम' का शिगूफ़ा छोड़ दिया, जिसके बाद पार्टी आलाकमान ने उन्हें दिल्ली बुलाया.
देहरादून: गत 16 दिसंबर को देहरादून में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की रैली हुई तो वह भीड़ और लोगों के उत्साह के मामले में उसी मैदान पर हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से इक्कीस साबित हुई. विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड में कांग्रेस के चुनाव अभियान की यह बड़ी कामयाबी थी.
लेकिन कुछ ही दिनों के भीतर उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है. प्रदेश में पार्टी के सबसे कद्दावर नेता हरीश रावत ने ‘संगठन का सहयोग न मिलने’ की तंज भरे लहजे में शिकायत करते हुए ट्वीट किया और राजनीति से ‘विश्राम’ का शिगूफा छोड़ दिया.
डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी हाईकमान ने आनन-फानन में हरीश रावत समेत उत्तराखंड कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को दिल्ली बुलाया. राहुल गांधी से मुलाकात के बाद हरीश रावत ने कहा कि वे कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष के तौर चुनाव को लीड करेंगे जिसमें सब लोग सहयोग करेंगे. मुख्यमंत्री के चेहरे का फैसला चुनाव के बाद लिया जाएगा.
जब वे मीडिया को यह बता रहे तब एआईसीसी के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी उनके साथ थे. तो क्या राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में सब ठीक हो गया है? उससे भी बड़ा सवाल है कि आखिर उत्तराखंड कांग्रेस में हुआ क्या है?