उत्तराखंड में दोहराई गई बंगाल की एक साल पुरानी कहानी, बीजेपी ने अपनाया 'ममता मॉडल'
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उत्तराखंड में बीजेपी वही कहानी दोहरा रही है जो एक साल पहले पश्चिम बंगाल में हुआ था. दोनों राज्यों की कहानी में अंतर बस साल और सियासी दल का है.
पिछले साल की ही बात है. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो तृणमूल कांग्रेस ने प्रचंड जीत के साथ सत्ता में वापसी कर ली लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से चुनाव हार गईं. नंदीग्राम में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को हरा दिया था. हार के बावजूद ममता बनर्जी टीएमसी विधायक दल की नेता चुनी गईं और बीजेपी ने यह कहते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था कि चुनाव में किसी हारे हुए उम्मीदवार को मुख्यमंत्री बनने का नैतिक हक नहीं. बीजेपी के नेताओं ने तब शायद ये नहीं सोचा होगा कि साल गुजरते-गुजरते एक दिन उनकी पार्टी भी यही कहानी दोहराएगी.
बंगाल का यही ममता मॉडल उत्तराखंड में दोहराया जा रहा है. बीजेपी वही कर रही है जिसे लेकर पार्टी एक साल पहले ममता बनर्जी को घेर रही थी. बीजेपी को उत्तराखंड चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने का जनादेश मिला लेकिन पार्टी का चेहरा रहे पुष्कर सिंह धामी खुद खटीमा सीट से चुनाव हार गए. बावजूद इसके बीजेपी विधायक दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी को ही नेता चुन लिया गया है और वे ही सूबे के अगले मुख्यमंत्री होंगे.
अमित मालवीय ने ममता की हार को टीएमसी की जीत पर बताया था कलंक
बंगाल के हाई पिच चुनाव में जब ममता चुनाव हार गई थीं तो बीजेपी ने TMC को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. बीजेपी की आईटी सेल के राष्ट्रीय संयोजक अमित मालवीय ने ममता बनर्जी और टीएमसी पर हमला बोला था. अमित मालवीय ने तब ट्वीट कर कहा था कि मौजूदा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से चुनाव हार गईं. इस करारी हार के बाद अमित मालवीय ने कहा था कि इस करारी हार के बाद ममता बनर्जी को अपना मुख्यमंत्री पद बरकरार रखने का क्या नैतिक अधिकार है?
मालवीय ने ममता की हार को टीएमसी की जीत पर धब्बा भी बताया था. अमित मालवीय ने तब ये नहीं सोचा होगा कि कुछ ऐसा ही एक साल बाद ही उनकी पार्टी के साथ भी होगा. उत्तराखंड में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिल गया लेकिन पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे पुष्कर सिंह धामी अपनी ही सीट पर मात खा गए. बावजूद इसके धामी राज्य के अगले सीएम बन रहे हैं.
उपचुनाव में जीत के बाद भी बीजेपी के निशाने पर रही थीं ममता
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