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उत्तराखंड: कांग्रेस के आपसी झगड़ों और चुनावी कुप्रबंधन ने भाजपा की जीत का रास्ता साफ किया
The Wire
उत्तराखंड में कांग्रेस अपनी हार के लिए मतदाताओं या भाजपा को ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकती. यह वक़्त है कि वह गहराई से आत्मविश्लेषण करे कि पांच साल अगर उसने कारगर विपक्षी दल की भूमिका सही ढंग से निभाई होती, तो फिर से इतने बुरे दिन नहीं देखने पड़ते.
उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों के चुनाव नतीजों ने 21 साल पहले जन्मे इस हिमालयी राज्य में एक नया इतिहास रच दिया. राज्य बनने के बाद से ही बेशुमार समस्याओं से घिरे इस प्रदेश में पहली बार विपक्ष इस तरह चित्त हुआ.
बारी-बारी से सरकार बदलने का तिलिस्म टूटा और सत्ता विरोधी रुझान होने के बावजूद मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को जनता ने लगातार दूसरी बार सिरे से नकार दिया.
भाजपा को भी एक झटका लगा. चार महीने पहले युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं की तराई की खटीमा सीट तक नहीं बचा पाए. उनके साथ भाजपा के कई दिग्गज चुनाव हार गए.
लेकिन राज्य में आरामतलबी के आगोश में लिपटी गुटबाजी और खेमेबंदी में बंटी कांग्रेस के लिए भी बेहद बुरी खबर निकली. उसके मुख्यमंत्री के दावेदार हरीश रावत को लालकुआं विधानसभा सीट से निराशाजनक हार का सामना करना पड़ा.