ईडब्ल्यूएस आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट की सहमति, कहा- संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं
The Wire
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को दिए जाने वाले 10 फीसदी आरक्षण संबंधी संविधान के 103वें संशोधन को 3-2 के बहुमत से अनुमति दे दी.
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने जस्टिस माहेश्वरी के बयान से सहमति जताते हुए कहा, ‘कोटा को संसद द्वारा की गई एक सकारात्मक कार्रवाई के रूप में देखा जाना चाहिए.अनुच्छेद 14 या संविधान के मूल ढांचे का कोई उल्लंघन नहीं पाया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘ईडब्ल्यूएस कोटा आरक्षित वर्गों को इसके दायरे से बाहर रखकर उनके अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है. आरक्षण जाति व्यवस्था द्वारा पैदा की गई असमानताओं को दूर करने के लिए लाया गया था. 75 वर्षों के बाद, हमें परिवर्तनकारी संवैधानिकता के दर्शन को जीने के लिए नीति पर फिर से विचार करने की जरूरत है.’
जस्टिस जेबी पारदीवाला भी कोटा बरकरार रखने के पक्ष में थे. उन्होंने कहा, ‘आरक्षण अंत नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय को सुरक्षित करने का साधन है… इसे निहित स्वार्थ नहीं बनने देना चाहिए… आरक्षण अनिश्चित काल तक जारी नहीं रहना चाहिए, जिससे निहित स्वार्थ बन जाए.’
जस्टिस भट ने उपरोक्त न्यायाधीशों के फैसले पर असहमति जताते हुए कहा, ‘संशोधन संवैधानिक रूप से प्रतिबंधित भेदभाव की वकालत करता है.आरक्षण पर निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा के उल्लंघन की अनुमति देने से और अधिक उल्लंघन हो सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप विभाजन हो सकता है.’