
इस बार तो बंगाल को टैगोर का जन्मोत्सव मनाने का हक़ है…
The Wire
2021 में बंगाल गर्वपूर्वक अपने कवि से कह सकता है, ये जो फूल आपको अर्पित करने मैं आया हूं वे सच्चे हैं, नकली नहीं. इस बार प्रेम, सद्भाव, शालीनता के लिए स्थान बचा सका हूं. यह कितने काल तक रहेगा इसकी गारंटी नहीं पर यह क्या कम है कि इस बार घृणा और हिंसा के झंझावात में भी ये कोमल पुष्प बचाए जा सके.
रविवार को बंगाल रवींद्रनाथ टैगोर का जन्मोत्सव कैसे मना रहा था, खबर नहीं. लेकिन रवींद्र जयंती मनाने का अधिकारी वह बना हुआ है, यह तो कहा ही जा सकता है. बंगाल की आत्मा का मर्दन नहीं हो सका, उसने अपनी रक्षा कर ली और देश के लिए भी कुछ प्राणवायु इकट्ठा कर ली, यह तो लोग कह ही रहे हैं. 2 मई के पहले तक सबके, विशेषकर बंगाल के शुभेच्छुओं के मन में धुकधुकी थी, क्या बंगाल बच पाएगा? क्या इस बार रवींद्रनाथ की प्रतिमा पर पुष्पांजलि उनके विचारों और भावों के कातिलों के हाथ होगी? प्रतिमा में तो प्राण मनुष्य डालता है. जो मनुष्येतर है, छद्ममानुष है, वह किसी भी प्रतिमा को प्राणवान कैसे कर सकता है भला? संतोष यह कहकर भले कर लें लेकिन यह भी सच है कि आंबेडकर हो या गांधी या पटेल, राष्ट्र की तरफ से उन्हें जब वह मुख श्रद्धांजलि देता है जिसका अभ्यास घृणा के विष के वमन का ही रहा है तब कुछ अपना अपमान-सा लगता है.More Related News