![इस्लामोफ़ोबिया पर यूएन में पाकिस्तान का प्रस्ताव पारित, भारत ने जताई चिंता, उठाया हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म का मुद्दा](https://ichef.bbci.co.uk/news/1024/branded_hindi/1ABA/production/_123724860_20191213145l.jpg)
इस्लामोफ़ोबिया पर यूएन में पाकिस्तान का प्रस्ताव पारित, भारत ने जताई चिंता, उठाया हिंदू, बौद्ध और सिख धर्म का मुद्दा
BBC
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 15 मार्च को इस्लामोफोबिया का सामना करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने के लिए प्रस्ताव पेश किया था.
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मंगलवार को 'इंटरनेशन डे टू कॉम्बैट इस्लामोफ़ोबिया' यानी इस्लामोफ़ोबिया विरोधी दिवस मनाने के लिए पाकिस्तान की ओर से लाए गए एक प्रस्ताव के पारित होने पर चिंता जताई है.
भारत ने कहा है कि एक धर्म विशेष को लेकर डर उस स्तर पर पहुंच गया है कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की स्थिति आ गई है. भारत ने कहा है कि धर्मों को लेकर अलग-अलग तरह से डर का मौहाल बनाया जा रहा है, ख़ासकर हिंदुओं, बौद्ध और सिख धर्म के ख़िलाफ.
193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने ये प्रस्ताव रखा था कि 15 मार्च को 'इंटरनेशन डे टू कॉम्बैट इस्लामोफोबिया' यानी 'इस्लाम के प्रति डर के ख़िलाफ़ लड़ाई का अंतरराष्ट्रीय दिवस' के तौर पर मनाया जाए.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन के इस प्रस्ताव को अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, मिस्र, इंडोनेशिया, ईरान, इराक़, जॉर्डन, कज़ाख़स्तान, कुवैत, किर्गिस्तान, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, मालदीव, माली, पाकिस्तान, क़तर, सऊदी अरब, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, उज़्बेकिस्तान और यमन का समर्थन हासिल था.
इस प्रस्ताव के पारित होने पर प्रतिक्रिया देते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने महासभा में कहा कि भारत को उम्मीद है कि ये प्रस्ताव नज़ीर नहीं बनेगा. इस प्रस्ताव के बाद अन्य धर्मों के प्रति डर को लेकर कई प्रस्ताव आ सकते हैं और संयुक्त राष्ट्र धार्मिक शिविरों में बदल सकता है.