इस्लामोफ़ोबिया के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र में आए प्रस्ताव का भारत ने क्यों किया विरोध?
BBC
इस प्रस्ताव का ओआईसी के 57 सदस्य देशों के अलावा चीन, रूस सहित अन्य 8 देशों ने समर्थन किया. लेकिन क़रीब 20 करोड़ मुसलमान आबादी वाले भारत ने इस प्रस्ताव के पारित होने पर अपनी गहरी चिंता जताई है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंगलवार को फ़ैसला किया कि अब से 15 मार्च को 'इस्लामोफोबिया विरोधी दिवस' मनाए जाएगा.
इसे लेकर भारत ने अपनी गहरी चिंता जाहिर की है और कहा है कि एक धर्म विशेष को लेकर डर उस स्तर पर पहुंच गया है कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की स्थिति आ गई है.
भारत ने यह भी कहा कि विभिन्न धर्मों ख़ासकर हिंदुओं, बौद्ध और सिख धर्म के ख़िलाफ अलग-अलग तरीक़े से डर का मौहाल बनाया जा रहा है.
ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर भारत जैसा देश मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा और नफ़रत रोकने के लिए लाए गए किसी प्रस्ताव का विरोध क्यों कर रहा है?
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