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इसराइल-फ़लस्तीनी विवाद: जब गांधी ने कहा था कि अगर मैं यहूदी होता तो...
BBC
इसराइल और फ़लस्तीनियों के विवाद पर शुरुआत से ही महात्मा गांधी की गहरी नज़र रही थी. वे ख़ासतौर पर यूरोप में यहूदियों की दशा से काफ़ी प्रभावित हुए थे.
10 मई 2021 को शुरू इसराइल-फ़लस्तीनी युद्ध 11 दिनों तक चला और इसमें साठ से ज़्यादा फ़लस्तीनी बच्चों समेत 248 नागरिकों की मौत हुई और दो हज़ार लोग घायल हुए. इसी दौरान फ़लस्तीनी रॉकेटों से दो बच्चों समेत 12 इसराइली नागरिकों की भी मौत हुई. अब युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है. युद्धविराम की घोषणा किसने की, यह सवाल उतना ही बेमानी है जितना यह कि युद्ध की घोषणा किसने की. इन दोनों के बीच युद्ध का भी, विराम का भी और फिर युद्ध का अंतहीन सिलसिला है जिसके पीछे इन दो के अलावा वे सभी हैं जो युद्ध और विराम दोनों से मालामाल होते हैं. अमेरिका के विदेश-सचिव एंटनी ब्लिंकेन ने युद्धविराम के तुरंत बाद दोनों पक्षों के साथ सौहार्दपूर्ण मुलाक़ात की और कहा कि अमेरिका इसराइल की सुरक्षा, शांति व सम्मान के प्रति वचनबद्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि बमों की मार से तार-तार हुए ग़ज़ा शहर की मरहम पट्टी तथा फ़लस्तीनियों के संपूर्ण विकास के लिए अमेरिका 75 अरब डॉलर की मदद देगा. इसका एक ही मतलब है: युद्ध भी हमारी ही मुट्ठी में, विराम भी हमारी ही मुट्ठी में!More Related News