इसराइली यहूदी और फ़लस्तीनी मुसलमान, दो 'दुश्मनों' के बीच दो सप्ताह
BBC
इसराइल और फ़लस्तीनी संघर्ष के बीच बहस में लगातार बताया जाता है कि कहाँ कि लोग सही हैं, कहाँ के ग़लत. मगर बीबीसी संवाददाता ज़ुबैर अहमद ने इसराइल में अपनी दो हफ़्ते की यात्रा में पाया कि आम धारणाएँ कितनी ग़लत हो सकती हैं.
इसराइल और फ़लस्तीनी क्षेत्रों में इस समय जिस तरह की तबाही और हिंसा चल रही है उसे देखते हुए मुझे यरूशलम की अपनी यात्रा याद आ रही है. मैं 2019 में पहली बार इसराइल गया, यह मेरे लिए आंखें खोल देने वाला अनुभव था. मैं बहुत तरह की साज़िशों की कहानियाँ सुनकर बड़ा हुआ और ये सारी कहानियाँ यहूदी लोगों के बारे में थीं, हमें ये बताया गया था कि यहूदी लोगों के जीवन का मक़सद इस्लाम और मुसलमानों को ख़त्म करना है, उन्हें तबाह करना है. मैं जिस समाज में और कुनबे में बड़ा हुआ वहाँ यहूदी ही दुश्मन नंबर वन थे, हमें बताया गया था कि उन पर यक़ीन नहीं किया जा सकता है, उनसे दोस्ती नहीं की जा सकती है, हमें बचपन से ही यह सब सिखाया गया था. हमें ये कभी नहीं बताया गया था कि बतौर देश इसराइल और वहाँ रहने वाले यहूदी लोग एक ही नहीं हैं, बल्कि अलग-अलग हैं. शायद ये फर्क़ हमारे बुज़ुर्ग नहीं समझते थे. ये कुछ ऐसा ही है कि बतौर देश पाकिस्तान, और पाकिस्तान में रहने वाले लोग दोनों अलग-अलग हैं, ये हम हमेशा महसूस करते हैं. यहूदी विरोधी भावना मुसलमानों के हमेशा लड़ते रहने वाले दो फिरकों (शिया-सुन्नी) को एकजुट कर देती है, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले मुसलमान यहूदियों के विरोध के नाम पर एकजुट हो जाते हैं.More Related News