
इसराइली मीडिया में अल-जज़ीरा की रिपोर्टर शिरीन अबू के मारे जाने पर क्या कहा जा रहा
BBC
पूर्वी यरुशलम में रहने वाली अबू अक़लेह बीते दो दशकों से क़तर के प्रसारक अल-जज़ीरा पर फ़लस्तीनियों की आवाज़ और चेहरा बनी थीं. वो उन चुनिंदा फ़लस्तीनी महिला पत्रकारों में से एक थीं, जो ग्राउंड रिपोर्टिंग करती थीं, ख़ासतौर पर यरुशलम और वेस्ट बैंक से.
फ़लस्तीनी मूल की अमेरिकी पत्रकार शिरीन अबू अक़लेह की दुखद मौत के बाद इसराइली मीडिया में ऐसी अटकलें तेज़ हो गई हैं कि इससे बदले के लिए हमलों में बढ़ोतरी होगी और इससे इसराइल को कूटनीतिक स्तर पर भी नुक़सान झेलना पड़ सकता है.
कत़र के प्रसारक अल-जज़ीरा के लिए काम करने वाली 51 वर्षीय शिरीन अक़लेह बुधवार को वेस्ट बैंक के जिनिन में इसराइली रेड को कवर करने गई थीं.
अल-जज़ीरा का कहना है कि इसराइली सुरक्षाबलों ने जानबूझकर अक़लेह को गोली मारी. हमले में एक और पत्रकार घायल हुआ था.
हालांकि, इसराइली सेना ने अक़लेह को जानबूझकर मारने के दावों को ख़ारिज किया है और कहा है कि उन्हें आशंका है कि फ़लस्तीनी पक्ष की ओर से हुई फ़ायरिंग में अक़लेह की जान गई.
टाइम्स ऑफ़ इसराइल की ख़बर के अनुसार, फ़लस्तीनी सोशल मीडिया को लेकर विशेषज्ञता रखने वाले इंस्टीट्यूट फ़ॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज़ के रिसर्च फ़ेलो ओरित पेरलोव कहते हैं, "अभी ही सोशल मीडिया पर बदले की मांग उठने लगी है और यहीं से अगले आतंकवादी हमले को रोकने की ज़रूरत शुरू होती है."