इमरान ख़ान अपनी सरकार बचाने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल कर रहे हैं?
BBC
पाकिस्तान में हर शासन इस्लाम को अलग तरह से पेश करता रहा है और यही काम इमरान ख़ान ने भी किया है, इससे वो क्या कुछ हासिल कर सकेंगे?
पाकिस्तान में जहां प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव और सड़कों पर हो रही रैलियों ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है वहीं प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और विपक्षी नेता धार्मिक संदर्भों और शब्दों का भी ख़ूब इस्तेमाल कर रहे हैं.
ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान की राजनीति में धर्म कार्ड ख़ूब चलाया जा रहा है. लेकिन सवाल ये है कि क्या ऐसा पहली बार हो रहा है?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अपने रिसर्च पेपर 'पाकिस्तान के राजनीतिक विकास में धर्म का किरदार' में बीएम चंगपा लिखते हैं कि पाकिस्तान द्वी-राष्ट्रीय नज़रिए की बुनियाद पर क़ायम हुआ था, जिसने 11 अगस्त 1947 को अपनी प्राथमिकता खो दी थी, जब पाकिस्तान के संस्थापक क़ायद-ए-आज़म जिन्ना ने एक सार्वजनिक बयान में कहा था कि धर्म किसी भी व्यक्ति का निजी मामला है.
बाद में अहमदिया विरोधी दंगों, संकल्प उद्देश्यों, मूल सिद्धांत समिति की रिपोर्ट और 1962 के संविधान ने पाकिस्तान के राजनीतिक विकास में मज़हब के किरदार को उजागर किया.