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इन 5 चुनौतियों को पार पाए बिना कांग्रेस के लिए BJP का विजय रथ रोक पाना संभव नहीं?
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'तीसरी बार मोदी सरकार' का नारा देकर चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस ने गठबंधन का दांव तो चल दिया है लेकिन इन पांच चुनौतियों से पार पाए बिना ग्रैंड ओल्ड पार्टी के लिए ऐसा मुश्किल लग रहा है.
लोकसभा चुनाव के लिए वादों के दांव चले जा रहे हैं, एक-एक सीट पर रणनीति की बिसात बिछाई जा रही है. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 'अबकी बार, 400 पार' का नारा दिया है. विपक्षी कांग्रेस नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को जीत की हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए पूरा जोर लगा रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 37.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 303 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस ने 19.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 52 और अन्य ने 30.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 116 सीटें जीती थीं.
अन्य में यूपी की सपा-बसपा, ओडिशा की बीजेडी, तेलंगाना में बीआरएस और केरल में लेफ्ट की जीती सीटों का आंकड़ा भी शामिल है. कांग्रेस ने बीजेपी का विजयरथ रोकने के लिए यूपी और बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक, क्षेत्रीय क्षत्रपों से हाथ मिला लिया है और पार्टी को उम्मीद है कि यह गठबंधन एनडीए का विजयरथ रोकने में सफल रहेगा. लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि कि क्या गठबंधनों के गणित से ही कांग्रेस बीजेपी का विजयरथ रोक लेगी?
स्ट्राइक रेट
लोकसभा की देश में कुल 543 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों को मिलाकर लगभग दो सौ सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी और कांग्रेस की सीधी फाइट है. 2014 और 2019 के चुनाव नतीजे देखें तो बीजेपी पिछले दोनों चुनावों में इनमें से करीब 90 फीसदी सीटें जीतने में सफल रही है. कांग्रेस के सामने इन सीटों पर स्ट्राइक रेट सुधारने, वोट शेयर बढ़ाने की चुनौती है.
पिछले चुनाव में बीजेपी की जीती 40 सीटों पर हार-जीत का अंतर 50 हजार वोट से कम रहा था. इन 40 में से 11 सीटें बीजेपी और कांग्रेस की सीधी फाइट वाली थीं. कांग्रेस अगर 'तीसरी बार मोदी सरकार' के सपने को डेंट करना चाहती है तो उसे सीधी फाइट वाली इन सीटों पर स्ट्राइक रेट में सुधार करना होगा, विनिंग परसेंटेज बढ़ाना होगा. 2019 में 207 सीटें ऐसी थीं जहां कांग्रेस को 30 फीसदी या उससे अधिक वोट मिले थे. पार्टी को इन सीटों पर स्ट्राइक रेट सुधारना होगा.
वोट शेयर
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