
इजारयल में फिर शुरू हुआ PM नेतन्याहू का विरोध, तेल अवीव में जुटे हजारों प्रदर्शनकारी
AajTak
पिछले लंबे समय से सरकार के खिलाफ इजरायली विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि पिछले साल हमास के हमले के बाद इन पर रोक लग गई थी, जो अब एक बार फिर से शुरू हो गए हैं. हजारों इजरायली तेल अवीव में एकत्र हुए और पीएम नेतन्याहू पर देश की सुरक्षा को खराब करने और फिर से चुनाव कराने की मांग की.
गाजा में हमास के खिलाफ चल रहे युद्ध के बीच शनिवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला. हजारों इजरायली तेल अवीव में एकत्र हुए और पीएम नेतन्याहू पर देश की सुरक्षा को खराब करने और फिर से चुनाव कराने की मांग की. दरअसल, पिछले लंबे समय से सरकार के खिलाफ इजरायली विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि पिछले साल हमास के हमले के बाद इन पर रोक लग गई थी, जो अब एक बार फिर से शुरू हो गए हैं.
वहीं कुछ समय पहले किए गए जनमत सर्वेक्षणों में भी नेतन्याहू के लिए कम समर्थन दिखने को मिला है. लोग सत्ता परिवर्तन की मांग रहे हैं. इस कड़ी में शनिवार रात को तेल अवीव चौराहे पर बड़ी संख्या में लोग जुटे और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए. हालांकि इस बार लोग 2023 में देखी गई भीड़ की तुलना में बहुत कम थे.
विरोध प्रदर्शन कर रहे लोग ढोल बजाकर अपना गुस्सा व्यक्त कर रहे थे और इजरायली झंडे लहरा रहे थे. उनके हाथों में कई स्लोगन लिखे कार्डबोर्ड भी नजर आए. इस दौरान नोम अलोन नाम के युवक ने कहा कि जिस सरकार ने 7 अक्टूबर को हमें छोड़ दिया, वह तब से हर दिन हमें छोड़ रही है. उत्तरी और दक्षिणी (सीमाओं) से निकाले गए लोगों, पीड़ितों के परिवारों, रिजर्विस्टों, बंधकों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया.
उन्होंने बताया कि उनका भाई एक सैनिक था और हमास घुसपैठियों से एक इजरायली शहर को खाली कराने की कोशिश में मारा गया. उन्होंने मंच से कहा, "बदलने और ठीक करने की शक्ति हमारे हाथ में है. इस सरकार को घर जाने की जरूरत है. अभी!" इस दौरान भीड़ ने चिल्लाकर उसे उत्तर दिया, "अभी! अभी!"
गाजा में बंधक बनाए गए लोगों के रिश्तेदारों का भी प्रदर्शन

संयुक्त राष्ट्र महासभा की मीटिंग में हि्स्सा लेने अमेरिका जा रहे शहबाज शरीफ एक बार फिर से पुराने एजेंडे पर टिके हुए हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि शहबाज शरीफ एक बार फिर से कश्मीर का मुद्दा उठाएंगे और इस्लामोफोबिया का शिकार होने के बहाने अमेरिका की हमदर्दी लेने की कोशिश करेंगे.

मौत की सजा से पहले आई चिट्ठी, मिर्गी के दौरे को 'परम आनंद' बताया... जिंदगी से दोस्तोवस्की का रोमांस!
पांच साल के व्यक्तिगत नरक को झेले बिना फ्योदोर दोस्तोवस्की उन महान उपन्यासों को लिखने में असमर्थ होते जिनके लिए वे सबसे प्रसिद्ध हैं. अपने मिर्गी के दौरे के क्षणों में 'परम क्षण' को अनुभव करने वाले दोस्तोवस्की ने मानवता के समक्ष तीखे सवाल खड़े किए. उनकी रचना क्राइम एंड पनशिमेंट में एक पात्र पूछता है क्या 'असाधारण' व्यक्ति नैतिक नियमों से ऊपर हैं?