
इंस्टा पोस्ट नकली हैं... कनाडा में एक छत के लिए भटक रहे भारतीय छात्रों का छलका दर्द
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Canada vs india: भारत से अभी-अभी कनाडा पहुंचे छात्र कंधे पर बैग उठाए ओंटारियो इलाके में घूमते देखे जा सकते हैं. ये स्टूडेंट्स यहां के रिहाइशी इलाके में अजनबी विदेशियों से किराये पर ठिकाना मांग रहे हैं. वहीं, कनाडाई इसे बिल्कुल पसंद नहीं करते.
कनाडा में सिर पर बिना छत यहां भटक रहे हताश छात्रों को कोई किराये पर घर नहीं देना चाहता. ओंटारियो के नॉर्थ बे में कैनाडोर कॉलेज में शामिल होने वाले लगभग 30 छात्र इसी दिक्कत से जूझते रहे. इनमें से ज्यादातर भारत से थे. हारकर सभी ने अपने कॉलेज के फर्स्ट वीक में कैंपस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. फिर भी सितंबर में उन्हें रहने की कोई सुविधा नहीं दी गई. छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद संस्थान ने इंडियन छात्रों को केवल दो दिनों के लिए आवास दिया, लेकिन इसके बाद फिर वो बेघर हो गए.
सच पूछिए तो भारतीयों के लिए कनाडाई सपना एक बुरे सपने में बदल रहा है. यहां पहुंचने वाले ज्यादातर 20 साल के छात्र हैं जो रहने की जगह न मिलने से तमाम परेशानियों से जूझ रहे हैं. यही नहीं अब कनाडा में पार्ट टाइम नौकरियों का भी संकट है. दूर देश में अपने घर-परिवार से हजारों किलोमीटर दूर छात्र ऐसी ही दिक्कतों से जूझ रहे हैं.
लगातार बढ़ रही विदेशी छात्रों की संख्या साल 2023 की बात करें तो कनाडा में अब तक 900,000 अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं ही, अब इस साल के आखिर तक 500,000 स्थायी निवासी और बढ़ सकते हैं. कनाडाई सरकार द्वारा अप्रवासियों को लाने का एक प्रमुख कारण आर्थिक विकास और लचीलेपन को बढ़ावा देना है. हालांकि, यह अभियान ऐसे समय में आया है जब कनाडा आवास संकट का सामना कर रहा है. वहां घरों का निर्माण बेहद कम है और रिकॉर्ड-उच्च ब्याज दरों ने नई आवास इकाइयों को आम कनाडाई और नए अप्रवासियों की पहुंच से बाहर कर दिया है.
हर साल इतने सारे छात्र कनाडा क्यों आते हैं? सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कनाडा भर में कम से कम 3,45,000 हाउसिंग यूनिट्स हैं. यहां घर का किराया भी आसमान छू रहा है, जिससे छात्रों को तंग बेसमेंट सेटअप में रहना पड़ रहा है जहां उनकी सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं है. अब आप सोच रहे होंगे कि हर साल इतने सारे छात्र कनाडा क्यों आते हैं. सच पूछिए तो इसका कारण सिर्फ शिक्षा नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि स्टूडेंट वीज़ा कनाडा जाने के लिए एक आसान रास्ता है, और फिर इसके बाद स्थायी निवास और नागरिकता पाने के रास्ते भी खुल जाते हैं. स्टूडेंट वीज़ा के जरिये विदेशी नागरिक कनाडा में आसानी से एंट्री कर सकते हैं. कनाडा में विदेशी छात्रों में बड़ी संख्या भारतीयों की है.
40 प्रतिशत इंटनेशनल छात्र इंडिया से कनाडा सरकार के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में कुल 5.5 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 2.26 लाख छात्र इंडिया से थे. ये कुल छात्रों का 40 प्रतिशत है. इससे पहले से 3.2 लाख भारतीय छात्र वीजा पर कनाडा में रह रहे थे. इनमें से बड़ी संख्या में छात्र मोटल या बेसमेंट में रह रहे हैं. द कैनेडियन प्रेस के पत्रकार गौरव भट्ट ने IndiaToday.In को बताया कि कनाडा में आने वाले लोगों की बाढ़ से मामला और खराब हो रहा है. भट्ट कहते हैं कि जो भारतीय छात्र हाल ही में कनाडा पहुंचे हैं, वे ओन्टारियो के किचनर में आवासीय इलाकों में घूम रहे हैं, वो अपने बैग कांधे पर लादे अजनबी घरों में डोर बेल बजा रहे हैं. दरवाजा खुलने पर पूछते हैं कि क्या आपके घर में किराए पर देने के लिए कोई जगह है. वहीं कनाडा के निवासी अजनबियों द्वारा इस तरह घर-घर जाकर किराये पर जगह पूछने को पसंद नहीं करते. इंडो-कनाडाई पत्रकार का कहना है कि घर की तलाश भारतीय छात्रों के लिए दुःस्वप्न की शुरुआत है. आखिर में थक-हारकर वो एक स्टोर रूम साझा करते हैं. कुछ घरों के बेसमेंट भी उन्हें मिल जाते हैं. इनका किराया 600-650 $ होता है. इस तरह ज्यादातर पैसे किराए के भुगतान में खर्च हो जाते हैं. अब सोचने वाली बात ये है कि छात्र किराने और फोन के बिल का भुगतान कैसे करेंगे. पहले छात्र यहां अपनी आजीविका चलाने के लिए पार्ट टाइम जॉब कर लिया करते थे.
नौकरियां नहीं, किराया भी महंगा आजकल ये जॉब्स भी बहुत कम हो गई हैं. अपनी पहचान न बताने की शर्त पर एक इंडियन स्टूडेंट ने IndiaToday.in को बताया कि वह छह अन्य लोगों के साथ ओंटारियो प्रांत के किचनर में एक बेसमेंट शेयर करता है. उनका किराया प्रति माह 450 डॉलर आता है और किराना और फोन बिल सहित कुल खर्च 700 डॉलर आ जाता है. इस खर्च में कॉलेज की ट्यूशन फीस शामिल नहीं है.

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