इंदिरा गांधी ने जब किया ढाका का पहला और आख़िरी दौरा
BBC
इंदिरा गांधी के पहले ढाका दौरे के दौरान बांग्लादेश और भारत के बीच दोस्ती और सहयोग के 25 साल के समझौते पर दस्तख़त किए गए थे. इस समझौते पर शेख़ मुजीबुर रहमान और इंदिरा गांधी ने उनके दौरे के तीसरे दिन दस्तख़त किए थे.
17 मार्च, 1972. उस वक़्त सुबह के साढ़े दस बज रहे थे. ढाका के तेज़गांव हवाई अड्डे पर भारतीय वायुसेना का एक विमान 'हंस' उतरा. हवाई अड्डे पर भारत के झंडे के साथ-साथ नए देश बांग्लादेश का लाल और हरा झंडा भी लहरा रहा था.
जिस वक़्त भारतीय वायुसेना का वो ख़ास विमान ढाका हवाई अड्डे पर उतरा, उससे पहले ढाका ही नहीं, पूरे बांग्लादेश में बाक़ी सभी उड़ानें रोक दी गई थीं. इस विमान में वो शख़्सियत सवार थीं, जो पिछले ही बरस बांग्लादेश की पहली दोस्त बनी थीं. उनकी अगुवाई में ही भारत ने एक करोड़ से ज़्यादा बांग्ला शरणार्थियों को रहने का ठिकाना दिया, खाना दिया और उनके इलाज का भी इंतज़ाम किया था.
पूर्वी बंगाल के जो गुरिल्ला लड़ाके बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे, उन्हें इस शख़्सियत ने ही हथियार दिए और ट्रेनिंग देकर आज़ादी की लड़ाई में उनका साथ दिया था. उन्होंने ही पूर्वी बंगाल को बांग्लादेश के रूप में मान्यता दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कूटनीतिक अभियान चलाए थे. बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई में उनके देश ने सीधे तौर पर दख़ल दिया था.
असल में उस विमान में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सवार थीं. उनका स्वागत करने के लिए हवाई अड्डे पर ख़ुद बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख़ मुजीबुर रहमान मौजूद थे. उसी दिन शेख़ मुजीब का जन्मदिन भी था. ये आज़ाद बांग्लादेश में शेख़ मुजीब का पहला जन्मदिवस था. इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश का दौरा करने के लिए इसी ख़ास दिन को चुना था.