आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जम्मू-कश्मीर में BJP को खजाना मिल गया
AajTak
राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित करवाकर केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में भाजपा को मजबूत करने का काम कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखा है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं. इसकी कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है.इस फैसले से जाहिर है कि सबसे अधिक राहत भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को होने वाला है. 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया था, साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 अर्जियां दी गई थीं. भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी केंद्र के इस फैसले पर साथ नहीं थी. अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद पेश जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयकों को भी नैतिक बल मिल गया है.कहा जा रहा है कि इन विधेयकों के लागू होने के बाद जम्मू कश्मीर में बीजेपी सरकार के लिए आधार तैयार हो रहा है.सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में जल्द चुनाव के लिए कदम उठाए जाएं. 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने के लिए कहा गया है.
राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित करवाकर केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में भाजपा को मजबूत करने का काम कर रही है. आइये देखते हैं कि ऐसा क्यों कहा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी वोट की ताकत से जम्मू कश्मीर की सत्ता पर काबिज़ होना चाहती है.370 के रद्दीकरण पर सुप्रीम मोहर लगने से प्रदेश में और क्या बदलने वाला है.
बीजेपी की सरकार बनाने में मददगार बनेंगे 2 कानून
कानून बनने के बाद जम्मू और कश्मीर विधानसभा में सीटों की प्रभावी संख्या 95 हो जाएगी, जबकि कुल सीटें बढ़कर 119 हो जाएंगी.इसमें पीओके के लिए आरक्षित 24 सीटें भी शामिल हैं. नई विधानसभा के गठन के लिए कश्मीर घाटी में 47 और जम्मू एरिया में 43 सहित कुल 90 विधानसभा सीटों के लिए जनता वोट देकर अपने प्रतिनिधि चुनेगी. इसमें नौ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए 7 सीटें अनुसूचित जाति के लिए भी आरक्षित हैं. कुल 48 सीट जीतकर कोई भी दल प्रदेश में सरकार बना सकेगा. चूंकि 14 सीटें आरक्षित हो गईं हैं. इस तरह से यह तय हो गया है कि ये केवल हिंदुओं के लिए हैं. क्योंकि संविधान में मुस्लिम्स के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इसके अलावा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक में दो कश्मीरी पंडितों के अलावा विधानसभा में एक पाकिस्तानी शरणार्थी के नामांकन का प्रस्ताव रखा गया है. सदन में पहले से ही दो महिलाओं के नामांकन का प्रावधान है.नामांकित विधायक भी हर हाल में सत्ताधारी पार्टी का ही साथ देते हैं.
2014 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने बनाई थी बढ़त
2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपना अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 87 में से 25 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी.चूंकि राज्य में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था इसलिए भाजपा ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाया था.तीन साल तक गठबंधन सरकार चलने के बाद बीजेपी ने महबूबा मुफ़्ती की सरकार को समर्थन वापस ले लिया था.19 जून 2018 को गठबंधन टूट गया और साझा सरकार गिर गई थी.इसके बाद अगस्त 2019 में राज्य के पुनर्गठन के बाद से भाजपा ने जम्मू कश्मीर में अपने दम पर सरकार बनाने का लक्ष्य रखा हुआ है.
महाराष्ट्र के ठाणे में एक बच्ची का शव मिलने के बाद लोग आक्रोशित हो गए. दरअसल उल्हासनगर इलाके में तीन दिनों पहले एक बच्ची लापता हो गई थी जिसके बाद परिजनों ने थाने में गायब होने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. इसी के बाद गुरुवार को उसका शव हिल लाइन पुलिस स्टेशन से कुछ दूरी पर मिला जिसे देखकर स्थानीय लोग भड़क गए.
गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के पैसे से भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और ये रिश्वत भी उन प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई, जिससे 20 वर्षों में अडानी ग्रुप की एक कम्पनी को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी भारतीय रुपयों में लगभग 16 हज़ार 881 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है. आरोप है कि इस मुनाफे के लिए साल 2021 से 2022 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ की सरकारों को लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.
गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उन पर सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले पर NSUI ने भी प्रदर्शन किया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है, जिसमें भ्रष्टाचार और व्यापारिक नैतिकता के सवाल शामिल हैं.