आराम पर प्रज्ञान, मिशन पर सूर्ययान... पढ़ें- 'सोने' से पहले चंद्रयान-3 ने क्या जानकारियां दीं, अब आदित्य-L1 से क्या उम्मीदें?
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शिवशक्ति प्वाइंट पर रोवर और लैंडर दोनों के बीच 100 मीटर का फासला है. प्रज्ञान रोवर पर लगे दोनों पेलोड APXS और LIBS बंद कर दिए गए हैं. इन पेलोड ने जो डाटा जमा किया था, वो लैंडर के जरिए हम तक पहुंच गया है. एक ओर जहां भारत का चंद्रयान मिशन पूरा हुआ. वहीं भारत का एक और ऐसा मिशन शुरू हो गया, जिसको दुनिया ने हैरत के साथ देखा. भारत का आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट सूर्य और पृथ्वी के बीच मौजूद L1 पॉइंट के 125 दिन के लंबे सफर के लिए निकल पड़ा है.
10 दिन तक चांद से जुड़े रहस्य सुलझाने की कोशिशों के बाद आखिर हमारा प्रज्ञान रोवर गहरी नींद में सो गया. चांद पर अब एक लंबी रात है और माइनस 200 के तापमान में प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर का काम करना मुमकिन नहीं है, लेकिन स्लीप मोड में जाने से पहले रोवर और लैंडर ने कई ऐसी जानकारियां हमें दे दी हैं, जिनसे मानवता का भला हो सकता है.
14 जुलाई को भारत ने अपना मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च किया था. 40 दिन का सफर पूरा करने के बाद 23 अगस्त को चंद्रयान चांद के साउथ पोल पर उतरा और भारत एक झटके में उन विकसित देशों की कतार में शुमार हो गया, जिन्होंने चांद पर अपने मिशन उतारने में कामयाबी हासिल की थी.
100 मीटर की दूरी पर खड़े हैं लैंडर-रोवर
10 दिन तक सटीक तरीके से जानकारी जुटाने के बाद प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है. इसे अब चांद के साउथ पोल पर सुरक्षित तरीके से पार्क कर दिया गया है, या यूं कहें कि अब ये चांद पर चैन की नींद सोएगा. इसको स्लीप मोड में सेट किया गया है. शिवशक्ति प्वाइंट पर रोवर और लैंडर दोनों के बीच 100 मीटर का फासला है. प्रज्ञान रोवर पर लगे दोनों पेलोड APXS और LIBS बंद कर दिए गए हैं. इन पेलोड ने जो डाटा जमा किया था, वो लैंडर के जरिए हम तक पहुंच गया है.
22 सितंबर को चांद पर फिर होगा सूर्योदय
हालांकि इसकी बैटरी अब भी पूरी तरह चार्ज है. ये भी मुमकिन है कि एक बार फिर ये अपना काम करना शुरू कर दे, ऐसा इसलिए क्योंकि रोवर को इस एंगल पर रखा गया है कि 22 सितंबर को जब चांद पर सूर्योदय हो तो सूरज की किरणें इसके सौर पैनलों पर पड़ें. ऐसा हुआ तो ये फिर काम कर सकता है. सूरज की रोशनी से हमारे रोवर और लैंडर पावर जनरेट कर सकते हैं, जो इनके उपकरणों के लिए जरूरी है. पावर के बिना इनमें लगे वैज्ञानिक उपकरण खराब हो सकते है.
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