आप भी बालों में कराने जा रही हैं स्मूथनिंग या रिबॉन्डिंग? इन बातों को ज़रूर जान लें
ABP News
महिलाएं अपने बालों को स्ट्रेटनर से स्ट्रैट कर एक नया लुक देना हमेशा पसंद करती हैं. इनके अलग प्रभाव होते हैं. चलिए जानते हैं कि स्मूथनिंग और रिबॉन्डिंग में आखिर फर्क क्या है?
महिलाएं जिनके बाल कर्ली या फिर वेवी होते हैं. वह अपने बालों को स्ट्रेटनर से स्ट्रेट कर एक नया लुक देना हमेशा पसंद करती हैं. लेकिन जिन महिलाओं को स्ट्रेट हेयर बेहद पसंद होते हैं उनके लिए बार-बार स्ट्रेटनर का इस्तेमाल करना झंझट वाला काम हो जाता है. इसी तरीके को अपनाने से ना केवल उनके काफी सारा समय बर्बाद होता है. साथ ही साथ उनके बाल भी डैमेज हो जाते हैं, जो महिलाएं चाहती हैं कि उनके बाल लंबे समय तक स्ट्रैट हों ऐसे में या तो वह रिबॉन्डिंग का ऑप्शन चुनती हैं या फिर स्मूथनिंग का. लेकिन आमतौर पर महिलाएं दोनों हेयर ट्रीटमेंट को एक ही मानती है. जबकि वास्तव बात यह है कि यह दोनों ट्रीटमेंट अलग-अलग है. इनके अलग प्रभाव होते हैं. अलग साइड इफेक्ट्स होते हैं. चलिए जानते हैं कि स्मूथनिंग और रिबॉन्डिंग में आखिर फर्क क्या है?
रिबॉन्डिंग-अगर आपके बाल कर्ली हैं. ऐसे में आप रिबॉन्डिंग करवा सकती हैं. यह एक तरीके से परमानेंट हेयर फिक्सिंग है, क्योंकि एक बार रिबॉन्डिंग कराने के बाद आपके बाल लगभग 1 साल तक स्ट्रैट रहते हैं. हालांकि, इसका एक नुकसान भी है. इस प्रक्रिया में केमिकल से आपके बालों के अंदर तक जाकर हेयर स्ट्रक्चर को तोड़ देते हैं, जिससे बाल काफी कमजोर हो जाते हैं. इस पूरे प्रोसेस में लगभग 4 से 5 घंटे का समय लगता है. हेयर रिबॉन्डिंग का एक फायदा यह है कि आप अपने बाल लंबे समय तक स्ट्रेट रख सकते हैं. जब आप एक बार हेयर रिबॉन्डिंग करवाती हैं तो इससे आपको कर्ली या फिर फ्रिजी हेयर से छुटकारा मिल जाता है. साथ ही आपके बालों में शाइन भी आ जाता है.