आपकी सहमति के बगैर पुलिस आपके कंप्यूटर के डेटा को नहीं छू सकती: जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा
The Wire
साक्षात्कार: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा का कहना है कि अगर पुलिस बिना सहमति के डेटा इकट्ठा करती है, तो इसे अनिवार्य तौर पर इसकी ज़रूरत का वाजिब कारण बताने में समर्थ होना चाहिए. सिर्फ यह कह देना काफी नहीं है कि ऐसा करने का मक़सद आपराधिक जांच करना है.
मुंबई: 31 अक्टूबर, 2022 को दिल्ली पुलिस ने नई दिल्ली एवं मुंबई स्थित द वायर के संस्थापक संपादकों सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु, सिद्धार्थ भाटिया, डिप्टी एडिटर जाह्नवी सेन और बिजनेस हेड मिथुन किदांबी के घरों पर छापे मारे और उनके फोन, कंप्यूटर और आईपैड आदि अपने साथ ले गए.
ये छापे द वायर में छपी रिपोर्टों की एक श्रृंखला, जिसमें तथ्यात्मक गलतियां सामने आने पर द वायर ने उन्हें वापस ले लिया था, को लेकर भारतीय जनता पार्टी के अमित मालवीय की एक शिकायत के आधार पर संपादकों के खिलाफ कथित मानहानि, जालसाजी और ठगी के आरोपों के सिलसिले में मारे गए.
कंपनी के एकाउंट कर्मचारियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दो कंप्यूटरों की हार्ड डिस्क भी जब्त कर ली गईं. छापा मारने वाली टीम ने एक या ज्यादा कर्मचारियों के आधिकारिक और निजी ईमेल खातों का पासवर्ड मांगा और उन्हें दिया गया, साथ ही जिन पर छापे मारे गए उन्हें अपने डिवाइस (यंत्रों) से पासकोडों को डिसेबल करने के लिए कहा.
द वायर द्वारा जारी एक वक्तव्य के अनुसार जब्ती के समय कोई हैश वैल्यू (किसी भी फाइल के फिंगरप्रिंट यानी विशिष्ट पहचान या एक यूनीक संख्या) या क्लोन्ड कॉपी नहीं दी गई.