
आतंकी साजिश में शामिल था NIA का ये मोस्ट वॉन्टेड, तीन साल बाद पुलिस ने रतलाम से किया गिरफ्तार
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28 मार्च, 2022 को पुलिस ने राजस्थान के निम्बाहेड़ा कस्बे में एक चार पहिया वाहन से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री जब्त की थी. इसी के बाद से फिरोज खान फरार चल रहा था. एनआईए की नजर में होने के बावजूद वह गिरफ्तारी से बचता रहा.
मध्य प्रदेश पुलिस ने राजस्थान की एक कथित आतंकी साजिश में शामिल मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. इस आरोपी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मोस्ट वॉन्टेड घोषित किया था. साथ ही उसकी गिरफ्तारी पर 5 लाख रुपये का इनाम भी रखा गया था.
दरअसल, ये मामला साल 2022 का है. जह राजस्थान में विस्फोटक जब्त किए गए थे. इस मामले मुख्य आरोपी फिरोज खान को बताया गया था. मध्य प्रदेश पुलिस के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने फिरोज खान को इस मामले में मोस्ट वॉन्टेड घोषित किया था और उस पर 5 लाख रुपये का इनाम रखा था.
रतलाम जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) अमित कुमार ने बताया कि 28 मार्च, 2022 को पुलिस ने राजस्थान के निम्बाहेड़ा कस्बे में एक चार पहिया वाहन से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री जब्त की थी. इसी के बाद से फिरोज खान फरार चल रहा था. एनआईए की नजर में होने के बावजूद वह गिरफ्तारी से बचता रहा. लेकिन पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर उसे रतलाम में उसकी बहन के घर से गिरफ्तार कर लिया.
SP अमित कुमार ने आगे बताया कि उसे मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात हिरासत में लिया गया और उससे पूछताछ की जा रही है. उन्होंने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि आरोपी रतलाम के आनंद कॉलोनी स्थित घर में आ रहा है, जिसके बाद उसे पकड़ लिया गया. एनआईए को उसकी गिरफ्तारी की सूचना दे दी गई है.
उन्होंने बताया कि साल 2022 में राजस्थान से विस्फोटकों की बरामदगी जयपुर में विस्फोट करने की योजना का हिस्सा थी. विस्फोटकों की बरामदगी के बाद पुलिस ने मौके से सैफुल्लाह, जुबैर और अल्तमश को गिरफ्तार किया था. उनसे पूछताछ के बाद मास्टरमाइंड इमरान और उसके साथियों को एनआईए ने पकड़ लिया था, लेकिन फिरोज खान तब से फरार चल रहा था.
पुलिस अधीक्षक (SP) अमित कुमार ने बताया कि इसके साथ ही मामले में अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इस मामले में आगे की कार्रवाई जारी है.

याचिका में उन्होंने तर्क दिया है कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 26 (धार्मिक संस्थाओं को स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है. याचिका में यह भी कहा गया है कि इस कानून के तहत वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन अब राजनीतिक हस्तक्षेप के अधीन हो सकता है, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता प्रभावित होगी.

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