'आज की दुनिया खेमों में बंटी हुई और हताश', संयुक्त राष्ट्र के मंच से जयशंकर ने बताया क्यों फैल रहा जंग का दायरा
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भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कहा कि आज की दुनिया में संवाद कठिन हो गया है, और सहमतियां तो उससे भी कठिन. भरोसा दरक गया है और प्रक्रियाएं बिखर चुकी हैं. आज हम शांति व समृद्धि दोनों को ही समान रूप से खतरे में पड़ा हुआ पाते हैं.
विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 79वीं आम बहस में यूक्रेन और गाजा में युद्ध के खिलाफ वैश्विक समुदाय को आगाह करते हुए कहा कि दुनिया बड़े पैमाने पर हिंसा जारी रहने को लेकर 'घातकवादी' नहीं हो सकती. यह इंगित करते हुए कि गाजा युद्ध का पहले ही वैश्विक व्यवस्थाओं पर व्यापक प्रभाव पड़ा है, एस जयशंकर ने वैश्विक समुदाय से दुनियाभर में चल रहे संघर्षों का तत्काल समाधान खोजने का आग्रह किया.
जयशंकर ने कहा कि चाहे यूक्रेन युद्ध हो या गाजा का संघर्ष, अंतरराष्ट्रीय समुदाय तत्काल समाधान चाहता है और इन भावनाओं को स्वीकार किया जाना चाहिए और उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, 'हम यहां एक कठिन समय में एकत्र हुए हैं. दुनिया अब भी कोविड महामारी के कहर से उबर नहीं पाई है. यूक्रेन में युद्ध अपने तीसरे वर्ष में है. गाजा में संघर्ष के भी व्यापक और भीषण नतीजे हो रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र ने हमेशा यही कहा है कि शांति और विकास एक दूसरे के पूरक हैं. फिर भी जब इनमें से एक के लिए चुनौतियां उत्पन्न होती हैं तो दूसरे को संपूर्ण महत्व नहीं दिया गया है. स्पष्ट है कि कमजोर और नाजुक परिस्थितियों वाले लोगों के लिए, इनके आर्थिक परिणामों को भी उजागर किए जाने की जरूरत है.'
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ग्लोबल साउथ में विकास योजनाएं पटरी से उतरीं
भारत ने इस बात पर अफसोस जताया कि पूरे वैश्विक दक्षिण में विकास योजनाएं पटरी से उतर गई हैं और टिकाऊ विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) पीछे की तरह जा रहे हैं. जयशंकर ने चीन के स्पष्ट संदर्भ में कहा, 'लेकिन और भी बहुत कुछ है. पक्षपातपूर्ण व्यापार प्रथाओं ने रोजगार के लिए जोखिम उत्पन्न किया है. अव्यवहार्य परियोजनाएएं ऋण को बढ़ाती हैं. संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करने वाला कोई भी कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट रणनीतिक अर्थ प्राप्त कर लेता है. खासकर जब यह सहमति से न हो.' उन्होंने कहा कि इस समय दुनिया विखंडित, ध्रुवीकृत और निराश है.
आज की दुनिया में संवाद और सहमति कठिन है
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