आज का दिन: क्यों चीन-अमेरिका दोनों से बराबर दूरी रख रहा है भारत?
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भारत की विदेश नीति को किस तरह नया आयाम दे रहे हैं एस. जयशंकर? टेक्निकल और नॉन टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स में हिंदी और क्षेत्रीय भाषओं को ज़रूरी करने पर क्या हैं आपत्तियां? और BCCI के अगले प्रेसिडेंट रोजर बिन्नी हुए तो क्या होंगे उनके सामने चैलेंज?
आजतक रेडियो पर हम रोज लाते हैं, देश का पहला मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट ‘आज का दिन’ जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की खबरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अखबारों की सुर्खियां और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब-किताब. जानिए, आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन खबरों पर बात कर रहे हैं?
विदेश नीति के मामले में क्यों फूंक-फूंक कर कदम रख रहा भारत?
केंद्र की मौजूदा सरकार में जिन चुनिंदा मंत्रियों के बयान, उनकी अपनी पहचान लोगों को अपनी ओर खींच रही है, उनमें एक हैं विदेश मंत्री एस. जयशंकर का. रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद दुनिया-जहान के मंचों पर जिस तरह उन्होंने भारत का पक्ष रखा है, उसकी बड़े पैमाने पर सराहना हो रही है. परसों उन्होंने साफगोई से कहा कि भारत के पास रूस से बनें हथियारों की बड़ी संख्या है क्योंकि पश्चिमी देशों ने दशकों तक भारत को हथियार सप्लाई नहीं किया. इससे आपको अगर ये लग रहा है कि वे रूस को लेकर सॉफ्ट हैं तो आप उनका कल का एक बयान पढ़िए, जिसमें उन्होंने यूक्रेन के शहरों में हुए रूसी अटैक पर कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाना और आम नागरिकों की जान लेना कहीं भी एक्सेप्ट नहीं किया जा सकता. इससे पहले वे रूस से तेल ख़रीदने पर और प्रतिबंधों की राजनीति पर यूरोप के दोहरे चरित्र को उजागर कर चुके हैं. यहां तक उन्होंने कहा यूरोप को अपनी इस मानसिकता से बाहर आना चाहिए कि उनकी समस्या, विश्व की समस्या है लेकिन दुनिया की समस्या ने उन्हें कोई सरोकार नहीं. ये पूछने पर कि चीन और अमेरिका अगर दो कैम्प होते हैं, भारत किस ओर झुकेगा. जयशंकर का कहना था कि किसी की ओर नहीं, हमारा अपना पक्ष होगा. सवाल है कि कुछ महीनों में ख़ासकर रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जो विदेश मंत्री ने कई बयान दिए हैं, क्यों ये कहा जा रहा है वे भारत के विदेश नीति के बदले अंदाज़ की ओर एक इशारा है. क्या है इस इशारे का मतलब और क्या ये सकारात्मक है?
IIM, IIT, AIIMS में हिंदी ज़रूरी करने को लेकर क्या चिंताएं हैं? गृह मंत्रालय की अध्यक्षता वाली तीस मेंबर की पार्लियामेंट्री कमेटी ने एक रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि IIM, IIT, AIIMS जैसे जितनी भी सेंट्रल यूनिवर्सिटीज हैं उनमें लोकल लैंग्वेज को प्राथमिकता दी जाएगी. मसलन जो हिंदी भाषी क्षेत्र हैं, वहां हिंदी को मीडियम ऑफ इंस्ट्रक्शन बनाया जाए, वहीं कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब जैसी जगहों पर वहां के रीजनल लैंग्वेज को प्रेफरेंस देने की बात कही गई है. अब जो ये मसौदा तैयार किया गया है, ये दरअसल 2019 में आई न्यू एजुकेशन पॉलिसी का हिस्सा है. 2019 में भी लैंग्वेज प्रेफरेंस का खूब विरोध हुआ था और अब जब कमेटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी गई है तो विरोध वापस शुरू हो गया है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भारत सरकार पर हिंदी को थोपने का आरोप लगाया है. कुछ महीने पहले जब इस मसले पर चर्चा हो रही थी तो केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी इसका विरोध किया था. दूसरी तरफ मेडिकल फिल्ड से जुड़े लोग भी इसको लेकर अपनी चिंताएं सामने रख रहे हैं. तो क्या हैं ये चिंताएं?
BCCI की नई टीम के सामने क्या होंगी चुनौतियां?
आज़ादी से भी तकरीबन बीस बरस पुरानी बात है. अंग्रेज़ों की क्रिकेट में मोनोपॉली थी, उसी को ख़त्म करने के लिए कुछ खिलाड़ियों ने बीसीसीआई (यानी बोर्ड ऑफ कंट्रोल फ़ॉर क्रिकेट इन इंडिया) बनाया. आज दुनिया का ये सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड है और इंडियन क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े सारे फैसले करती है. इसके अध्यक्ष हैं फिलहाल सौरव गांगुली, लेकिन मीडिया और क्रिकेट कोरिडोर्स में दबी ज़ुबान ये चर्चा है कि और हफ्ता भर वे इस पोस्ट पर रहेंगे, क्योंकि 18 अक्टूबर को बोर्ड के ऑफिस बियरर्स का इलेक्शन होना है. जिसके लिए सोमवार को एक इंटरनल डिस्कशन भी हुआ. कहा जा रहा है ऑल राउंडर रोजर बिन्नी BCCI के अगले प्रेसिडेंट हो सकते हैं. वे 1983 वर्ल्ड कप की विनिंग टीम के मेम्बर रह चुके हैं. बाकी के जो पोस्ट हैं, सेक्रेटरी, वाइस प्रेसिडेंट और ट्रेजरर के, वहां भी एक कंसेंसस ही है और शायद चुनाव की तारीख़ औपचारिकता रह जाए. सवाल है, गांगुली की छुट्टी इस पोस्ट से क्या एक्सपेक्टेड लाइन पर है, या इसमें कुछ सरप्राइजिंग एलिमेंट भी है क्योंकि पिछले हफ्ते हुई दिल्ली की एक मीटिंग की बड़ी चर्चा है? रोजर बिन्नी के लिए नए सेट अप में काम करना कितना चैलेंजिंग या ईजी रहने वाला है?
कल यानी सोमवार से शुरू हो रहे संसद के महत्वपूर्ण शीतकालीन सत्र को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है और उनसे कहा गया है कि वे संसद के सत्र को सुचारू रूप से चलने दें. विपक्ष पहले से ही हंगामा करने की तैयारी में है और उसके पास लंबी चौड़ी मुद्दों की लिस्ट है. देखें VIDEO
साहित्य आजतक 2024 के विशेष कार्यक्रम में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को विशेष आमंत्रित किया गया था. इस कार्यक्रम में उन्हें 8 अलग-अलग श्रेणियों में सम्मानित किया गया. लेखक गुलज़ार को 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया गया. इस महत्त्वपूर्ण अवसर को और भी यादगार बनाने के लिए देखें महामहीम का भाषण.
महाराष्ट्र की राजनीति में अजित पवार का नाम तेजी से उभर रहा है. 65 साल की उम्र में वे तीन बार उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं और अब मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते हैं. उन्होंने अपने चाचा शरद पवार को चुनावी मुकाबले में हराकर अपने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया है. इस विजय को महाराष्ट्र में बड़े राजनीतिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है.
15 नवंबर को दोपहर के समय एक बुजुर्ग अपने कमरे में बैठे थे, जब एक अनजान कॉल आया. कॉलर ने खुद को पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है. ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं जहां लोग पुलिस बनकर ठगी कर रहे हैं. बुजुर्गों को इन्टरनेट और फोन के माध्यम से होने वाले इन धोखाधड़ी से सावधान रहने की आवश्यकता है ताकि वह इस तरह के अज्ञात कॉल्स और फ्रॉड से बच सकें.
यूपी के संभल में जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुए बवाल में तीन लोगों की मौत हो गई है. एसपी ने इसकी पुष्टि कर दी है. शनिवार की सुबह जब कोर्ट के आदेश पर टीम सर्वे करने पहुंची तो स्थानीय लोगों ने बवाल शुरू कर दिया और पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकने लगे जिसमें एसपी समेत कई लोगों को चोट आई है. प्रदर्शनकारियों ने आगजनी भी की और कई गाड़ियों को फूंक दिया.
उत्तर प्रदेश के संभल में तनाव लगातार बढ़ रहा है. जहां दो लोगों की मौत हो गई है और कई लोग जख्मी हुए हैं. संभल के एसपी ने इसकी पुष्टि की है. मस्जिद के सर्वे को लेकर यह तनाव बढ़ा है और पुलिसवाले खूब जख्मी हुए हैं. खुद पुलिस कप्तान को भी चोट लगी है. स्थानीय लोगों के साथ पुलिस की बातचीत चल रही है और धारा 144 लागू की गई है.
महाराष्ट्र की सियासत में अजीत पवार का नाम बड़े परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है. 65 वर्षीय अजीत पवार ने तीन बार उपमुख्यमंत्री का पद संभाला है और अब वे सीएम बनना चाहते हैं. उन्होंने अपने चाचा और नेताजी शरद पवार को चुनावी युद्ध में हराकर अपनी ताकत का परिचय दिया है. अजीत पवार की इस जीत को महाराष्ट्र में बड़े सियासी बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है. कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने महाराष्ट्र के नए सीएम को लेकर आज तक संवाददाता विद्या से बातचीत की है.