आजाद बांग्लादेश सेकुलर था, फिर कैसे बना गया इस्लामिक मुल्क! भारत में जन्मे इस शख्स का था अहम रोल
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प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से बांग्लादेश सुलग रहा है. वहां के अल्पसंख्यक हिंदू सॉफ्ट टारगेट हैं. लेकिन ये देश हमेशा से चरमपंथी नहीं था. शुरुआत में सेकुलर कहलाते देश का चेहरा बदला- जनरल हुसैन मोहम्मद इरशाद ने. अस्सी के दशक में उन्होंने इस्लाम को बांग्लादेश का आधिकारिक धर्म बना दिया.
बांग्लादेश से हिंदुओं पर हिंसा की खबरें आ रही हैं. शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़कर जाने के बाद से स्थिति खराब है. बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल ने दावा किया कि सोमवार से मंगलवार के बीच ही बड़ी संख्या में हिंदुओं के घर और बिजनेस खाक कर दिए गए. आजादी के तुरंत बाद बांग्लादेश धर्मनिरपेक्ष मुल्क था, जिसे सेना के एक अधिकारी ने कट्टर बना दिया. साल 2011 में सत्ता में आने के बाद शेख हसीना ने सेकुलरिज्म को संविधान का हिस्सा माना लेकिन साथ ही ये भी दोहराया कि इस्लाम ही देश का धर्म है.
भाषा के नाम पर पाकिस्तान से अलग हुए बांग्लादेश में सत्तर के दशक में लगभग 22 फीसदी हिंदू थे, जबकि बौद्ध और ईसाई कम्युनिटी अलग थी. लेकिन संवैधानिक तौर पर इस्लामिक राष्ट्र बनते ही माजरा बदला. फिलहाल यहां लगभग 8 फीसदी हिंदू ही बाकी हैं, वे भी हिंसा और भेदभाव झेल रहे हैं. इस बीच उस सैन्य जनरल का जिक्र भी आ रहा है, जिसने बांग्लादेश को इस तरह बदल दिया.
जनरल हुसैन मोहम्मद इरशाद का जन्म पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में हुआ था. आजादी और बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से में चला गया, जो अब बांग्लादेश है. यूनिवर्सिटी ऑफ ढाका से ग्रेजुएशन के बाद इरशाद ने ईस्ट बंगाल रेजिेंट जॉइन कर ली. तब वो सेना में अफसर हुआ करते थे, लेकिन बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान इरशाद ने अपना अलग ही चेहरा दिखाया. वे तेजतर्रार लीडर के तौर पर उभरे.
साल 1975 में तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल जियाउर रहमान ने उन्हें बड़ा ओहदा दिया. इरशाद अब सैन्य-राजनैतिक ताकत के तौर पर पूरे बांग्लादेश में पहचाने जाने लगे. अस्सी की शुरुआत से पहले ही घटनाक्रम बदलने लगा. कई बड़े नेताओं की हत्या हुई और इस बीच तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुस सत्तार से जबरन रजामंदी लेकर इरशाद खुद राष्ट्रपति के पद पर आ गए.
साल 1986 में जातीय पार्टी नाम से राजनैतिक दल बनाकर उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव जी लिया. उसके बाद का वक्त सैन्य तानशाही का दौर कहलाता है. साथ ही साथ इसी वक्त में बांग्लाभाषियों से मिलकर बना बांग्लादेश सेकुलर का चोला उतारकर इस्लामिक देश बन गया.
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