आख़िर मोबाइल ऐप्स के ज़रिए कैसे ब्लैकमेल किए जा रहे हैं समलैंगिक
BBC
पहले समलैंगिक व्हाट्सऐप ग्रुप्स के ज़रिए साथियों की तलाश करते थे, लेकिन कोरोना महामारी के बाद मोबाइल ऐप्स का चलन बढ़ा है. इससे ब्लैकमेलिंग के मामले भी बढ़े हैं.
"जब मैं दस साल की थी तब मेरे टीचर ने मेरा यौन शोषण किया. इसके बाद कॉलेज में मेरे सीनियर छात्रों ने हॉस्टल में मेरा यौन शोषण किया. मैं उस अनुभव को नहीं भूल सकता."
"मैं बहुत मेहनत से पढ़ाई करके प्रोफ़ेसर बना. मेरी शादी हुई और बच्चे हुए और मैं अपनी ज़िंदगी में ख़ुश था. लेकिन मैं महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों के प्रति ज़्यादा आकर्षित था. इसकी वजह ये थी कि समलैंगिक रिश्तों में मेरे पार्टनर मेरा ख़्याल रखा करते थे. मैंने इंटरनेट पर नए साथियों की तलाश शुरू की और मैं दो युवाओं के संपर्क में आया. हमारे बीच समलैंगिक रिश्ते बने. लेकिन इसके बाद उन्होंने मुझे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और मुझसे लाखों रुपये ऐंठे."
ये शब्द 53 वर्षीय प्रोफ़ेसर सुबोध (बदला गया नाम) के हैं जिनके समलैंगिक रिश्ते थे. उन्होंने ब्लैकमेलिंग के बारे में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
अहमदाबाद के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रोफ़ेसर के रूप में काम करने वाले सुबोध ने बीबीसी को बताया, "मेरे शादी से पहले भी समलैंगिक रिश्ते थे लेकिन घरवालों के दबाव में मैंने शादी की."