
आईआईटी खड़गपुर द्वारा जारी नए साल के कैलेंडर को लेकर क्यों हो रहा है विवाद
The Wire
आईआईटी खड़गपुर के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम द्वारा हाल ही में जारी साल 2022 के एक कैलेंडर में आर्यों के हमले की थ्योरी को ख़ारिज करते हुए कहा गया है कि उपनिवेशवादियों ने वैदिक संस्कृति को 2,000 ईसा पूर्व की बात बताया है, जो ग़लत है. इसे लेकर जानकारों ने कई सवाल उठाए हैं.
नई दिल्ली: भारतीय इतिहास से लेकर ब्रह्मांड विज्ञान और खगोल विज्ञान का अध्ययन करने के लिए बनाए गए आईआईटी खड़गपुर के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम ने अपनी उपलब्धियों में एक कैलेंडर को शामिल किया है, जिसमें भारतीय इतिहास के कालक्रम (Chronology) को लेकर सवाल उठ रहा है. The distressing transformation of centres of excellence. https://t.co/SSiCxtUQJr This is very sad
इसमें भारत में आर्यों के विदेश से आने की थ्योरी को खारिज की गई है और कहा गया है कि उपनिवेशवादियों ने वैदिक संस्कृति को 2,000 ईसा पूर्व की बात बताया है, जो गलत है. — Tony Joseph (@tjoseph0010) December 25, 2021 It is an unfortunate side-effect of the rise of the "radical" Right in India
इस सेंटर में विवाद की वजह सिर्फ यही नहीं है. यहां वस्तु विद्या, परिवेश विद्या जैसे कोर्स भी पढ़ाए जा रहे हैं. Not blaming Modi or any individual here. But the intellectual climate in the country has taken a hit https://t.co/GQeNVRNFB1
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 18 दिसंबर को आईआईटी खड़गपुर के 67वें दीक्षांत समारोह के दौरान इस सेंटर को लॉन्च किया गया था. इसके चेयरपर्सन प्रो. जॉय सेन ने कहा, ‘यहां वास्तु विद्या, परिवेश विद्या (पर्यावरण अध्ययन), अर्थशास्त्र (राजनीति विज्ञान) और गणित में अंडर-ग्रैजुएट और पोस्ट-ग्रैजुएट कोर्स कराए जाते हैं.’ — Śrīkānta (@shrikanth_krish) December 28, 2021