आंखें और दिमाग खोलकर देखें भारत का विकास और मानवाधिकारों की ग्लोबल गारंटी: उपराष्ट्रपति
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 75 वें मानवाधिकार दिवस पर कहा कि मानवाधिकारों के घोषणापत्र के 75 साल हमारे अमृत काल से मिलकर गौरव काल की सृष्टि करते हैं. मानवाधिकारों के प्रति संवेदना तो हमारे डीएनए में है. फ्री बीज यानी फोकट में सामान देने की सनक भरी अंधी दौड़ जारी है.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 75 वें मानवाधिकार दिवस पर कहा कि मानवाधिकारों के घोषणापत्र के 75 साल हमारे अमृत काल से मिलकर गौरव काल की सृष्टि करते हैं. मानवाधिकारों के प्रति संवेदना तो हमारे डीएनए में है. फ्री बीज यानी फोकट में सामान देने की सनक भरी अंधी दौड़ जारी है. इससे न केवल आर्थिक नुकसान है बल्कि नागरिकों को कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है. इस पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए.
देश में कई लोग सोचते थे कि वो कानून से ऊपर और दूर हैं. लेकिन उनको समझ में आ गया है कि उनकी सोच गलत थी. उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को मुफ्तखोरी की राजनीति पर कहा कि आज जेबों को नहीं बल्कि इंसानी दिमाग को सशक्त बनाने की जरूरत है.
दुनिया आज जान गई है कि हमने मानवाधिकारों की सुरक्षा के साथ साथ विकास और उसके फायदों को गारंटी भी दुनिया को दी है. कोविड संकट इसका गवाह है. आज हम लीडर हैं एजेंडा सेटर हैं. कल तक जो हमें सलाह देते थे आज हमसे राय लेते हैं. दुनिया हमारी ओर देखती है कि हमारी सोच क्या है! उपराष्ट्रपति ने कहा कि खोखली आलोचना करने वालों को देश की उपलब्धियां खुली आंखों और दिमागी सोच से देखनी चाहिए. आज हमारे शासन और प्रशासन में भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद, आदि से मुक्त है.
तीस साल बाद नई शिक्षा नीति आई. हमारे यहां इंटरनेट डाटा उपयोग अमेरिका और चीन के साझा आंकड़े से भी ज्यादा है. ये मानवाधिकारों को गारंटी नहीं तो और क्या है? वो जमाने गए जब कुछ लोग खुद को कानून से ऊपर और दूर मानते रहे. लेकिन अब सरकार की पारदर्शी और सटीक नीति और प्रशासन की वजह से लोगों की सोच बदली है. आप कितने भी बड़े आदमी क्यों न हों कानून से ऊपर वही हैं. कमी सबसे ऊपर है.
महानगरों से निकल कर देखिए तो पता चलेगा कि आम लोगों को घर में साफ पेयजल, भोजन, गैस और शौचालय उपलब्ध है. मानवाधिकार दिवस पर nhrc अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि मानवाधिकार के मूल्य हमारे इतिहास में. वेद पुराण उपनिषद इसके साक्षी हैं.
हम अहिंसा के पुजारी है. क्योंकि हमारा मानना है कि हिंसा मानवाधिकारों का हनन करती है. यत: धर्मास्ततो जय: में धर्म का मतलब करुणा और अहिंसा ही है. मानव सेवा ही मानवाधिकार है. पंचायतें और स्थानीय निकाय प्रशासन मानवाधिकारों के बुनियादी रक्षक हैं. उन्हें एक्टिव रोल निभाने की जरूरत है. मानवाधिकारों की रक्षा की गारंटी तभी सफल है जब महिलाएं और बच्चे सुरक्षित महसूस करें. इन की गरिमा पर ऑनलाइन हमले भी होते हैं. वो भी इनके मानवाधिकारों का हनन है.
महाराष्ट्र के ठाणे में एक बच्ची का शव मिलने के बाद लोग आक्रोशित हो गए. दरअसल उल्हासनगर इलाके में तीन दिनों पहले एक बच्ची लापता हो गई थी जिसके बाद परिजनों ने थाने में गायब होने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. इसी के बाद गुरुवार को उसका शव हिल लाइन पुलिस स्टेशन से कुछ दूरी पर मिला जिसे देखकर स्थानीय लोग भड़क गए.
गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के पैसे से भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और ये रिश्वत भी उन प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई, जिससे 20 वर्षों में अडानी ग्रुप की एक कम्पनी को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी भारतीय रुपयों में लगभग 16 हज़ार 881 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है. आरोप है कि इस मुनाफे के लिए साल 2021 से 2022 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ की सरकारों को लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.
गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उन पर सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले पर NSUI ने भी प्रदर्शन किया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है, जिसमें भ्रष्टाचार और व्यापारिक नैतिकता के सवाल शामिल हैं.