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असम: हाईकोर्ट ने फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के आदेश को किया ख़ारिज, कहा- नागरिकता महत्वपूर्ण अधिकार है
The Wire
ये मामला असम के मोरीगांव ज़िले के मोइराबारी निवासी असोरुद्दीन से जुड़ा हुआ है, जिन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में बुलाया गया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हो सके थे और ट्रिब्यूनल ने उनका पक्ष जाने बिना ही उन्हें विदेशी घोषित कर दिया था.
नई दिल्ली: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (एफटी) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सुनवाई के दौरान मोरीगांव निवासी के अनुपस्थिति में उन्हें विदेशी ठहरा दिया गया था. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मोरीगांव जिले के मोइराबारी निवासी असोरुद्दीन द्वारा दायर एक याचिका पर एक आदेश पारित करते हुए जस्टिस मनीष चौधरी और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की खंडपीठ ने कहा कि नागरिकता ‘व्यक्ति का महत्वपूर्ण अधिकार’ होता है और इसे संबंधित व्यक्ति द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों को संज्ञान में लेते हुए ‘मेरिट के आधार’ पर तय किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बताया है कि उनका नाम, उनके दादा-दादी, माता-पिता के साथ, साल 1965, 1970 और 1971 की मतदाता सूची में शामिल है, जो असम के नगांव जिले के सहरिआपम गांव के रहने वाले हैं. आदेश में कहा गया है, ‘तदनुसार यह साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज और सबूत हैं कि वह एक भारतीय नागरिक हैं.’ हालांकि कोर्ट ने आदेश को नहीं पलटा, बल्कि मामले को वापस फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में भेज दिया. न्यायालय ने कहा कि इसमें कुछ ऐसी तथ्यात्मक चीजें हैं, जिस पर इस कोर्ट नहीं, बल्कि ट्रिब्यूनल द्वारा विचार किया जाना चाहिए.More Related News