असम विधानसभा चुनाव के बीच एनआरसी का मुद्दा कहां है…
The Wire
ऐसे राज्य में जहां एनआरसी के चलते 20 लाख के क़रीब आबादी 'स्टेटलेस' होने के ख़तरे के मुहाने पर खड़ी हो, वहां के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव में इस बारे में विस्तृत चर्चा न होना सवाल खड़े करता है.
नई दिल्ली: असम में बुधवार को दूसरे चरण का मतदान हो चुका है और अब केवल एक आखिरी चरण का मतदान बाकी है जो छह तारीख को होगा. इससे एक दिन पहले कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और प्रदेशाध्यक्ष रिपुन बोरा ने ऐलान किया कि पार्टी अगर सत्ता में आई तो भाजपा द्वारा ‘गलत बताई’ जा रही एनआरसी की फाइनल सूची को स्वीकृति दी जाएगी और लोगों को पहचान पत्र जारी किए जाएंगे. नागरिकता और उसमें भी एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस बीते कई सालों से असम के लिए एक बड़ा मुद्दा रहे हैं. साल 2019 में इसकी अंतिम सूची जारी होने और उसके बाद सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लाने के बाद से इसे लेकर राज्य का राजनीतिक पारा खासा बढ़ चुका है. हालांकि अब बीते कुछ महीनों से विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चल रहे राजनीतिक दलों के प्रचार अभियान समेत एनआरसी का यह मुद्दा मीडिया में भी नजर नहीं आ रहा है. ऐसे राज्य में जहां 20 लाख के करीब आबादी ‘स्टेटलेस’ होने के खतरे के मुहाने पर खड़ी हो, वहां के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव में इस बारे में विस्तृत चर्चा न होना सवाल खड़े करता है. स्थानीय पत्रकार और राज्य के जानकार इसे ‘मीडिया मैनेजमेंट’ कह रहे हैं, साथ ही उनकी मानें तो एनआरसी की प्रक्रिया का आगे न बढ़ना भी इस पर चर्चा न होने की एक बड़ी वजह है.More Related News