असम चुनावः कैसे बूढ़ी मां ने जेल में बंद अपने बेटे अखिल गोगोई को जीत दिलाई?
BBC
असम में नागरिकता क़ानून के विरोध का प्रमुख चेहरा रहे अखिल गोगोई इस समय जेल में बंद हैं. उनके चुनाव प्रचार का ज़िम्मा उनकी बूढ़ी मां ने संभाला और उन्हें जीत दिलाई.
''मेरे बेटे अखिल ने क्या अपराध किया, जो उसे डेढ़ साल से जेल में डाल रखा है. असमिया जाति और यहां के लोगों की सुरक्षा के लिए आवाज़ उठाना क्या गुनाह है? मेरा बेटा कोई चोर या डकैत नहीं, जिसे सरकार ने क़ैद कर रखा है. अखिल शुरू से असमिया जाति के अस्तित्व की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ रहा है. शिवसागर के लोगों ने इस चुनाव में उसे जीता कर उसके काम पर मुहर लगाई है. मैं नई सरकार से कहना चाहती हूं कि मेरे बेटे को जल्द से जल्द रिहा करे. उसे अपने इलाक़े के लोगों के लिए काम करना है.'' यह कहना है 85 साल की प्रियदा गोगोई का. असम विधानसभा चुनाव में अपने बेटे अखिल गोगोई की जीत के बाद जब वो ये कहती हैं, तो उनकी आवाज़ में बेटे की जीत की ख़ुशी के साथ सरकार के प्रति नाराज़गी भी महसूस होती है. असम के जाने-माने सूचना अधिकार कार्यकर्ता और किसान नेता अखिल गोगोई, ऊपरी असम के शिवसागर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद चर्चा में हैं. लेकिन कई लोग अखिल की इस जीत को उनकी बूढ़ी मां प्रियदा गोगोई के प्रयासों का नतीजा मान रहे हैं. असल में, शिवसागर विधानसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी तक ने अपने प्रत्याशियों के लिए चुनावी रैलियां की थीं. दूसरी ओर, नागरिकता क़ानून यानी सीएए के ज़ोरदार विरोध के चलते अखिल दिसंबर 2019 से जेल में बंद हैं. यानी वे अपने चुनाव प्रचार के लिए ख़ुद इलाक़े में मौजूद नहीं थे. इसके बाद भी वे विजयश्री का पताका फहराने में कामयाब रहे. जेल में बंद अखिल गोगोई ने असम विधानसभा के ताज़ा चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा था. और वे सत्तारूढ़ बीजेपी के उम्मीदवार सुरभि राजकोंवरी को 11,875 वोटों से हराने में कामयाब हुए हैं. 46 साल के अखिल गोगोई की जीत की सबसे बड़ी वजह सीएए विरोध को ही माना जा रहा है.More Related News