
अशोक तंवर, हरियाणा की 'आया राम गया राम' राजनीति का नया चेहरा । Opinion
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अशोक तंवर एक सफल राजनीतिक मौसम विज्ञानी के रूप में उभर रहे हैं. जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी तब हरियाणा से पार्टी साफ हो गई थी. अब वो कांग्रेस जॉइन कर रहे हैं तो ऐसा माना जा सकता है कि उन्हें ये लग रहा है कि राज्य में कांग्रेस की वापसी हो रही है.
हरियाणा के झज्जर जिले में एक दलित परिवार में जन्मे कांग्रेस नेता अशोक तंवर अभी दो घंटे पहले तक बीजेपी के नेता थे. भारतीय लोकतंत्र को आया राम गया राम नामक बीमारी देने वाले हरियाणा की राजनीति में अशोक तंवर इस खेल के नए खिलाड़ी हैं. किसी भी पार्टी में ज्यादा दिन तक अपने आप को फिट नहीं रख पाते हैं. बहुत सम्मान मिलने पर भी उनको सफोकेशन होने लगती है. पर बड़ी शख्सियतों को प्रभावित करने उन्हें बखूबी आता है. इसी के बल पर वो कभी राहुल गांघी के बहुत जल्दी खास बने थे और हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष का पद हथिया लिया था. अपनी इसी प्रतिभा के बल पर वो बीजेपी में भी बहुत जल्दी खास ओहदा का प्राप्त कर लिया था. हरियाणा बीजेपी के स्टार प्रचारकों में उनका नाम भी शामिल था. बीजेपी ने उन्हें कैंपेन कमेटी का सदस्य भी बनाया था.
हां लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि अशोक तंवर एक तेज तर्रार नेता हैं. अपनी पीढ़ी के नेताओं के मुकाबले में कहीं राजनीतिक रूप से समझदार हैं और कर्मठ भी हैं. कम से कम कांग्रेस में जहां अधिकतर ऐसे नेताओं की पूछ होती है जो किसी न किसी राजनीतिक घराने से रिश्ता रखते हैं उनमें वे नखलिस्तान की तरह हैं. उन्होंने अपने बल पर डुसू और जेएनयू में छात्र राजनीति की और राजनीति में अपनी जगह बनाई. अपने कौशल से ही उन्होंने राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य बड़े नेताओं को प्रभावित किया. 2009 में उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सिरसा से 3,54,999 वोटों के अंतर से चुनाव जीता. हालांकि उसके बाद वो 2019 में सिरसा लोकसभा से ही इनेलो कैंडिडेट के आगे उन्होंने घुटने टेक दिए. इसके बावजूद उन्हें कांग्रेस पार्टी ने उन्हें हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नवाजा. हुड्डा समर्थकों से अपमानित होने के बाद अशोक तंवर ने 2019 में कांग्रेस छोड़ दी. हालांकि उन्हें एक बेहत राजनीतिक मौसम विज्ञानी भी कहा जा सकता है. कांग्रेस छोड़ने का समय और फिर से कांग्रेस जॉइन करने के समय देखकर तो यही तो लगता है. क्योंकि 2019 में जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ी उसके बाद हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनी. अब जब सबको ऐसा लग रहा है कि हरियाणा में कांग्रेस वापस आ रही है उन्होंने मौका देखते हुए फिर से कांग्रेस जॉइन कर ली है.
कांग्रेस छोड़ने के बाद वह साल 2022 में आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे. हालांकि इसके पहले कुछ दिनों के लिए तंवर ने टीएमसी भी जॉइन की थी. हालिया लोकसभा चुनाव के समय आम आदमी पार्टी ने तंवर को चुनाव प्रचार समिति का चेयरमैन बनाया था. पर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर ने आम आदमी पार्टी को झटका देकर मनोहरलाल खट्टर की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम लिया था. क्योंकि लोकसभा चुनावों के पहले तक ऐसा लग रहा था कि बीजेपी केंद्र में बड़े बहुमत से फिर वापसी कर रही है. पर अशोक तंवर लोकसभा चुनाव में सिरसा सीट से कुमारी सैलजा के खिलाफ बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव नहीं जीत सके. उसके बाद उनका मन बीजेपी में ऊबने लगा और सत्ता सुख लेने के लिए उनका मन एक बार फिर मचल गया. आज फिलहाल वो कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए.
अशोक तंवर कहने को तो वो दलित नेता हैं पर न आर्थिक दृष्टिकोण से और न ही सामाजिक दृष्टि से उन्हें कोई दलित कह सकता है. बस चुनाव लड़ने के सुरक्षित सीट हथियाने के लिए वो दलित हो जाते हैं. दलित चेहरे के नाम पर ही कांग्रेस , आम आदमी पार्टी और बीजेपी में उन्हें तवज्जो मिलती रही है और वो अपनी अच्छी जगह बनाने में कामयाब हो जाते हैं.
2024 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने जो अपनी संपत्ति का विवरण दिया है उसके अनुसार उनकी नेट वर्थ 6 करोड़ 44 लाख रुपये है. उनकी पत्नी के नाम बैंक में 5 लाख रुपये जमा हैं.और भी कई बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों में उनके 2 लाख 48 हजार रुपये जमा हैं. मतलब साफ है कि वो करोड़पति हैं. उन्हें पैसे रुपये की कोई कमी नहीं है.
अब आते हैं उनकी सामाजिक हैसियत पर. जेएनयू से एमफिल और पीएडी कर चुके अशोक तंवर ने अपनी शादी देश के पूर्व राष्ट्रपति रह चुके शंकर दयाल शर्मा की नतिनी अवंतिका माकन से की है. अवंतिका दिल्ली कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय माकन की बेटी भी हैं. इस तरह अशोक खुद तो दलित हैं पर उनकी ससुराल ब्राह्मण पंजाबी मिक्स फैमिली है. कहने का मतलब है कि सामाजिक हैसियत में भी वो दलित नही्ं हैं. पर जब 2019 में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर हुड्डा के समर्थकों में एक रैली के बाद उनके साथ दुर्व्यवहर कर दिया था कहा यही गया था कि जाटों ने दलित नेता को पीट दिया.

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