अल्ताफ मामले में कांग्रेस ने यूपी सरकार को घेरा, प्रियंका गांधी बोलीं- कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट
AajTak
कांग्रेस ने यूपी की कानून व्यवस्था के साथ-साथ मौजूदा सरकार पर भी सवाल उठाए हैं. जहां एक तरफ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि क्या उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार नाम की कोई चीज़ बची है? वहीं दूसरी तरफ प्रियंका गांधी ने भी अल्ताफ के यूपी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया है.
उत्तर प्रदेश के कासगंज में पुलिस कस्टडी में एक शख्स की मौत ने सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. कासगंज में एक नौजवान आरोपी को पुलिस ने पकड़ा था, मगर थाने के शौचालय में उसकी मौत हो गई. सबसे हैरान करने वाली बात तो ये है कि पुलिस कह रही है कि आरोपी ने 2 फीट ऊंची नल की टोंटी के जरिए फांसी लगा ली. लेकिन मृतक का परिवार कहता है कि उनके नौजवान बच्चे को पुलिस ने मार डाला. क्या उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार नाम की कोई चीज़ बची है? कासगंज में अल्ताफ, आगरा में अरुण वाल्मीकि, सुल्तानपुर में राजेश कोरी की पुलिस कस्टडी में मौत जैसी घटनाओं से साफ है कि रक्षक भक्षक बन चुके हैं। उप्र पुलिस हिरासत में मौत के मामले में देश में सबसे ऊपर है। भाजपा राज में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। यहां कोई भी सुरक्षित नहीं है।
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.