अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे का दांव 'दोधारी तलवार'! सिर्फ फायदा ही नहीं, AAP को उठाने पड़ सकते हैं ये तीन जोखिम
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केजरीवाल का उत्तराधिकारी वही होगा जो उनका वफादार हो, जिसकी निष्ठा और योग्यता पर उन्हें पूर्ण विश्वास हो. नया मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की देखरेख में ही काम करेगा. इससे वह प्रशासनिक नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम होंगे.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने राजनीतिक करियर के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. कथित दिल्ली शराब घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत तो दी, लेकिन ऐसी शर्तों के साथ, जिसके कारण अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे पर विचार करने और एक विश्वसनीय उत्तराधिकारी नियुक्त करने पर मजबूर होना पड़ा. शीर्ष अदालत की जमानत शर्तों के मुताबिक वह मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जा सकते, दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते और न ही आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. अरविंद केजरीवाल के सीएम पद से इस्तीफा देने के इस कदम में रिस्क भी शामिल है, साथ ही उन्हें और उनकी पार्टी को इससे फायदा भी मिल सकता है.
केजरीवाल का पसंदीदा होगा अगला CM!
केजरीवाल का उत्तराधिकारी वही होगा जो उनका वफादार हो, जिसकी निष्ठा और योग्यता पर उन्हें पूर्ण विश्वास हो. नया मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की देखरेख में ही काम करेगा. इससे वह प्रशासनिक नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम होंगे. केजरीवाल जनता को यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश हुई, इसके बावजूद उन्होंने काम करना जारी रखा.
कई महत्वाकांक्षी योजनाओं में आएगी तेजी
दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले अरविंद केजरीवाल महिलाओं के लिए 1000 रुपये प्रति माह वाली अपनी योजना को जरूर लागू करवाना चाहेंगे. दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री जो भी बनेगा, वह उनके निर्देशों के तहत इस योजना पर तत्काल काम शुरू करेगा. यदि उपराज्यपाल (एलजी) की ओर से इस योजना के कार्यान्वयन में कोई अड़चन आती है, तो यह केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए एक मौका होगा. वे जनता के सामने कहेंगे कि केंद्र सरकार महिला विरोधी है और एलजी के माध्यम से 1000 रुपये प्रति माह वाली योजना को लागू नहीं होने दे रही. इस तरह चुनाव से पहले केजरीवाल जनता की सहानुभूति प्राप्त करना चाहेंगे.
बुलाया जा सकता है विशेष विधानसभा सत्र
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