![अयोध्या पर हाथ जला चुकी पार्टियां, काशी पर फूंक-फूंक कर बढ़ा रहीं कदम](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202205/gyanwapi_masjid_0-sixteen_nine.jpg)
अयोध्या पर हाथ जला चुकी पार्टियां, काशी पर फूंक-फूंक कर बढ़ा रहीं कदम
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वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम पूरा हो चुका है, जिसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश हो चुकी है. ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान शिवलिंग मिलने का दावा हिंदू पक्ष कर रहा तो मुस्लिम उसे फव्वारा बता रहे हैं. अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है तो दूसरी तरफ सियासत तेज हो गई है. राजनीतिक दल ज्ञानवापी मामले पर कुछ भी सीधे तौर पर बोलने से बच रहे हैं और फूंक-फूंक कर अपने कदम बढ़ा रहे हैं.
अयोध्या के राम मंदिर का मुद्दा सुलझने के बाद अब काशी और मथुरा को लेकर सियासत तेज हो गई है. काशी के ज्ञानवापी का मामला तब और भी गर्मा गया जब मस्जिद परिसर में सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया कि मस्जिद के भीतर वजूखाने में शिवलिंग मिला है. वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वजूखाने में मिला है वो शिवलिंग नहीं फव्वारा है. ऐसे में ऑल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेकर राष्ट्रीय स्वंय सेवक तक नजर बनाए हुए है तो अयोध्या मामले पर अपना सियासी हाथ जला चुके राजनीतिक दल ज्ञानवापी के मुद्दे पर अब फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं?
अयोध्या के राममंदिर आंदोलन के वक्त से आज के दौर की राजनीति बिल्कुल अलग है. नरेंद्र मोदी के केंद्र की सत्ता में आने के बाद हिंदू वोट बैंक लगातार कंसोलिडेट हो रहा है. बीजेपी की लगातार मिल रही जीत में हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण एक बड़ा फैक्टर माना जाता है. बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे पर जिस आक्रमक अंदाज में मुखर रहती है, उसके सामने कोई दूसरे दल नहीं टिकते हैं.
बीजेपी के हार्ड हिंदुत्व की पॉलिटिक्स के जबाव में कांग्रेस, सपा, आरजेडी, बसपा और एनसीपी जैसी तमाम पार्टियां सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीतिक करती नजर आती हैं. इसके बावजदू मुस्लिम परस्ती के आरोपों के चलते इन दलों से हिंदू वोट बैंक खिसका है, जिसके चलते उन्हें सत्ता से भी दूर होना पड़ा है. ऐसे में ये पार्टियां ज्ञानवापी मस्जिद के मामले से लेकर मथुरा के ईदगाह मस्जिद के मुद्दे पर खुलकर बोलने से बच रही हैं, क्योंकि कहीं न कहीं उन्हें बहुसंख्यक वोटों के खिसकने का खतरा है.
राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस के तीन दिन तक चिंतन शिविर के दौरान मौजूदा सियासी चुनौतियों के चक्रव्यूह से निकालने के लिए कई अहम प्रस्ताव पास किए हैं. लेकिन सोनिया गांधी से लेकर प्रियंका गांधी और राहुल गांधी तक ने ज्ञानवापी पर कुछ नहीं कहा. हालांकि, पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने जरूर मीडिया के सवाल पर इतना भर कहा कि देश में किसी भी पूजास्थल की स्थिति को बदलने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. अगर किसी धार्मिक स्थल की स्थिति बदलने की कोशिश की जाती है तो इससे बहुत बड़ा विवाद पैदा हो जाएगा.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस मुद्दे पर संभल-संभल कर कदम बढ़ा रहे हैं और सीधे कुछ भी कहने से बचते रहे. अखिलेश ने इसे बीजेपी का ऐसा स्टंट बताया और कहा कि जनता का ध्यान महंगाई जैसी समस्याओं से दूर खींचा जा सके. ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने के हिंदू पक्ष के दावे वाले सवाल पर अखिलेश ने कहा कि बीजेपी कुछ भी कर सकती है और करा सकती है. एक समय रात के अंधेरे में मूर्तियां रखवा दी गई थीं. उन्होंने कहा कि हमारे हिंदू धर्म में कहीं पर भी पत्थर रख दो, एक लाल झंडा रख दो, पीपल के पेड़ के नीचे तो मंदिर बन गया. बीजेपी अपनी साजिशों और नाकामी को छुपाने के लिए ज्ञानवापी का मुद्दा बढ़ा रही है.
बसपा प्रमुख मायावती ने प्रेस कॉफ्रेंस करके कहा कि बीजेपी और उसके संगठन पर महंगाई-बेरोजगारी से ध्यान हटाने के लिए चुन-चुनकर धार्मिक स्थलों को निशाना बना रहे हैं. मायावती ने कहा, आजादी के इतने सालों के बाद ज्ञानवापी, मथुरा, और ताजमहल की आड़ में धार्मिक भावनाओं को भड़काया जा रहा है. धर्म विशेष से जुड़े स्थानों के नाम भी बदले जा रहे हैं। इससे हमारे देश में शांति, सद्भावना और भाईचारे की जगह पर नफरत की भावना पैदा होगी. उन्होंने देश की आम जनता और सभी धर्मों के लोगों से सतर्क रहने की बात कही. वहीं, आरजेडी और एनसीपी इस मुद्दे पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं.
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