अमेरिका से समझौता कर कैसे फंस गई देउबा सरकार, भारत पर भी उठ रहे हैं सवाल
BBC
नेपाल को एक सहायता कार्यक्रम के तहत अमेरिका से कई करोड़ डॉलर मिलने हैं लेकिन मौजूदा सरकार में सहयोगी दल और विपक्ष इस समझौते के ख़िलाफ़ हैं. क्या है ये समझौता और भारत को इसमें बीच में क्यों लाया जा रहा है? क्या है इसका इंडिया कनेक्शन?
नेपाल में इन दिनों अमेरिका के एक सहायता कार्यक्रम ने भारी राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है. अमरीका के 'मिलेनियम चैलेंज' कार्यक्रम के तहत नेपाल को 50 करोड़ डॉलर मिलने हैं. लेकिन नेपाल में सरकार में सहयोगी दल और विपक्षी पार्टियां इससे जुड़े समझौते के मौजूदा स्वरूप के ख़िलाफ़ हैं. उनका कहना है कि समझौते में संशोधन होना चाहिए क्योंकि इसके कुछ प्रावधानों से नेपाल की संप्रभुता को ख़तरा हो सकता है.
अमरीका और नेपाल के इस समझौते को संसद का समर्थन ज़रूरी है, लेकिन राजनीतिक दलों और आम जनता के विरोध की वजह से इसका भविष्य अधर में लटका हुआ है.
अमरीका और नेपाल के बीच 50 करोड़ डॉलर का समझौता 2017 में हुआ था. 'मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन नेपाल (MCC-Nepal)' के तहत अमेरिका यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के विकास के लिए 50 करोड़ डॉलर देने वाला है. इसके तहत, भारत-नेपाल को जोड़ने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट भी शामिल हैं.
इस समझौते में अमेरिका की ओर से नेपाल में बिजली की अल्ट्रा हाई-वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन बनाने का ज़िक्र है. इसका इस्तेमाल कर नेपाल, भारत को बिजली बेच सकेगा. इसके साथ ही कुछ सड़क परियोजनाओं का भी विकास होना है. इस समझौते में भारत की मंज़ूरी भी ज़रूरी है.