अमेरिका में राहुल गांधी के आरक्षण पर बयान के बाद खुद के बनाए जाल में फंस गई कांग्रेस
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अमेरिका में राहुल गांधी आरक्षण और जातियों पर बयान देने का आधार कहां से ढूंढ रहे हैं, ये समझ में नहीं आ रहा है. अमेरिकी विश्वविद्यालयों में राहुल की बातों को भारत के नेता प्रतिपक्ष के तौर पर लिया जा रहा है. पर राहुल वैसी ही बातें बोल रहे हैं जो भारत में छात्र नेता छात्र संघ के चुनावों में बोलते हैं जिनका कोई आधार नहीं होता.
अमेरिका में मोदी सरकार और आरएसएस पर हमला करते-करते कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कुछ ऐसा कह दिया है कि उन्हें लेने के देने पड़ सकते हैं. जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत में रिजर्वेशन पर जो कुछ कहा उसका मतलब यह निकाला जा रहा है कि कांग्रेस के मन में कहीं न कहीं आरक्षण को खत्म करने की कोई योजना है. हालांकि राहुल गांधी यह कह रहे हैं कि उनके कहने का मतलब यह कतई नहीं था. पर इसी तरह की बातों पर तो वो बीजेपी को घेरते रहे हैं जिनके बारे में बीजेपी कहती रही है कि उनका ये मकसद कतई नहीं है. जिस तरह राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी के 400 सीट के लक्ष्य को संविधान बदलने से जोड़ दिया था अब वही काम बीजेपी और बीएसपी जैसी पार्टियां कांग्रेस के साथ कर रही हैं. राहुल गांधी ने अमेरिकी छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी भारत में आरक्षण खत्म करने के बारे में तब सोचेगी, जब भारत में आरक्षण के लिहाज से पक्षपात खत्म हो गया होगा, हालांकि, अभी ऐसी स्थिति नहीं है.
1-राहुल गांधी जाति वाले आंकड़े कहां से ला रहे हैं
राहुल गांधी आजकल दिन रात जाति-जाति का रट लगाए हुएं हैं.कभी वो जाति जनगणना की बात करते हैं, कभी जातियों की राजनीति , बिजनेस, मीडिया में हिस्सेदारी की बात करते हैं. हद तो तब हो गई जब वो मिस इंडिया प्रतियोगियों की जाति पूछने लगे. आए दिन अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से उनकी जाति पूछने वाले राहुल गांधी की जाति फोबिया अमेरिका में भी पीछा नहीं छोड़ रही. अमेरिका में भी उनकी बातचीत के केंद्र में जाति और धर्म ही रहा. इस संबंध में कहां से वो आंकड़े उठाकर पेश करते हैं ये समझ में नहीं आ रहा है. एक जगह वो कहते हैं कि भारत में पिछड़े दलित आदि की संख्या 73 परसेंट है.जब देश में जाति जनगणना हुई ही नहीं तो ये आकंड़े उन्हें किसने दिए. यूपीए सरकार ने सहयोगी दलों के दबाव में एक जाति जनगणना करवाई भी थी तो सरकार ने उसे सार्वजनिक नहीं किया. कर्नाटक में भी कांग्रेस की सरकार है पर वहां जाति जनगणना हो चुकी है पर उसे भी सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है.
अमेरिका में ही वो किन आंकड़ों के सहारे कहते हैं कि आदिवासियों को 100 रुपए में से 10 रुपये मिलते हैं, दलितों को 100 रुपए में से 5 रुपए मिलते हैं और ओबीसी को भी लगभग इतनी ही रकम मिलती है. राहुल आगे कहते हैं कि असलियत यह है कि उन्हें भागीदारी नहीं मिल रही है. भारत के हर एक बिजनेस लीडर की सूची देखें. मुझे आदिवासी, दलित का नाम दिखाएं. मुझे ओबीसी का नाम दिखाएं. मुझे लगता है कि शीर्ष 200 में से एक ओबीसी है. वे भारत के 50 प्रतिशत हैं, लेकिन हम इस बीमारी का इलाज नहीं कर रहे हैं. अब, आरक्षण एकमात्र साधन नहीं है. अन्य साधन भी हैं.’
ये सब आंकड़े राहुल गांधी के मन की उपज हैं या कोई सर्वे है, राहुल गांधी को यह जरूर बताना चाहिए. अमेरिका के किसी विश्वविद्यालय में बोलना और भारत में किसी चुनावी मैदान में बोलने से अलग है. देश का नेता प्रतिपक्ष जब कुछ बोलता है तो उसे दुनिया भर की मीडिया तवज्जो देती है. जिसका राहुल गांधी या तो गलत फायदा उठाने की कोशिश में हैं या तो इतने भोले हैं कि उन्हें पता ही नहीं है कि वो क्या कह रहे हैं?
2-राहुल गांधी ने जो कहा वो कांग्रेस के अंतर्मन में रचा बसा है
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